Thursday, 31 December 2015

विदेश विभाग भारत सरकार विषलेषण 2015


विदेश मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां:

चतुर कूटनीति का एक वर्षः मील का पत्थर 2015


वर्षांत समीक्षा 2015



पथ-प्रदर्शक (पाथ-ब्रेकिंग), अग्रगामी (प्रोएक्टिव), व्यावहारिक (प्रागमैटिक), ये तीन ‘पी’ वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सरकार के कूटनीतिक पहलकदमियों समाहित रहे।

इस वर्ष ने बड़े दायरे में सोचने, साहसी दूरदर्शिता व त्वरित कार्यवाही के जरिये 'भारतीय कहानी' को नई ऊर्जा दी है। इस प्रक्रिया में भारत ने खुद को हर तरह की बहसों, जिसमें वैश्विक प्रशासकीय सुधार, जलवायु परिवर्तन, परा-राष्ट्रीय आंतकवाद व साइबर सुरक्षा भी शामिल हैं, को आकार देने में अपने आप को महत्वपूर्ण हिस्सेदार बनाया है।

पड़ोसी देशों पर सबसे पहले ध्यान देने की नीति जारी है, इस दिशा में बांग्लादेश के साथ ऐतिहासिक समझौता संपन्न हुआ है, नेपाल में भयावह भूकंप की त्रासदी के बाद त्वरित सहायता के लिए भारत तुरंत मौजूद रहा। अफगान राष्ट्रपति यहां बुलावे पर आये, जबकि श्रीलंका के साथ रिश्तों में नई गर्मजोशी रही। वर्ष 2015, भारतीय राजनयिक संबंधों को पी5 शक्तियों के साथ पुनर्जिवित करने के मायने में भी मील का पत्थर साबित हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन व रूस की यात्रा से इन देशों के साथ बहुमुखी रिश्तों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष दुनिया के अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्रों अफ्रीका, पश्चिम एशिया, मध्य एशिया व दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के आपसी सहयोग में नई ऊर्जा, दीर्घकालीन दृष्टि व नई योजनाएं शुरू करने के लिए

तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम समिट ने दुनिया के दो उभरते ध्रुवों के बीच पुराने ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जिवित किया है व इस विशेष साझादारी को विकासित हो रही वैश्विक व्यवस्था में स्थापित किया है। पैसेफिक द्वीपों के साथ भारत के रिश्तों ने भारतीय कूटनीति की नई दिशाओं में जोर को इंगित करता है, इसने निर्णायक शक्तियों साथ ही साथ छोटे व महत्वपूर्ण राज्यों को भी साझे लक्ष्यों व साधे हितों के लिए कदम उठाने को प्रेरित किया है। बहुपक्षीय समूहों जैसे कि ब्रिक्स, जी20 व राष्ट्रमंडल के साथ रिश्ते मजबूत हुए हैं। पिछले बारह महीनों में भारत ने अर्द्ध गोलार्थ में फैले 25 मिलियन भारतीय प्रवासियों के साथ को भी सराहा है और उनके साथ नई पहलकदमियों को मंच दिया है।

घरेलू विकास व समृद्धि का वातावरण तैयार करने संबंधी विदेश नीति के उद्देश्य के साथ वैश्विक स्तर पर देश के कद को ऊंचा करना साल 2015 की उपलब्धियों में अहम हैं। फोटो खिंचाने के मौकों, यात्राओं व समझौतों से इतर, व्यापक संभावनाओं को मूर्त रूप मिला है। आर्थिक मोर्चे पर, निजी निवेश की भावना व विदेशी निवेश का प्रवाह सकारात्मक रहा है। इस वर्ष एफडीआई का अंतर्प्रवाह 40 प्रतिशत तक बढ़ा है। भारतीय विदेश नीति ने महत्वपूर्ण घरेलू पहलकदमियों जैसे कि मेक इन इंडिया, स्कील इंडिया व डिजीटल इंडिया को जरूरत के आधार पर साझेदारी के जरिये लाभ में तब्दील किया है, महत्वपूर्ण देशों के साथ समझौतों में भी इस जरूरत की छाप दिखती है। उदाहरण के लिए मेक इन इंडिया पहल को अद्भुत प्रतिक्रिया मिली, जिसमें कुछ देशों ने तो भारत में निर्माण केंद्र स्थापित करने के लिए विशेष अनुदान आवंटित किया। जैसे कि जापान के साथ हाल के समझौते में विभिन्न क्षेत्रों में ढेर सारी परियोजनाओं के लिए समझौता हुआ जिसमें मुंबई से हैदराबाद के बीच बहुचर्चित बुलेट ट्रेन परियोजना भी शामिल है।
‘स्किल इंडिया’ परियोजना की गूंज सुनाई दी और जर्मनी, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया व जापान जैसे देशों ने भारत के बढ़ते कामगारों के लिए अपनी विशेषज्ञों की सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव रखा। कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया ‘स्मार्ट सिटिज’ व गंगा के कायाकल्प की पहल पर भी देखने को मिली। कैलिफोर्नियां की अहम यात्रा में प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया की जमीन तैयार की जिससे कि तकनीक की पहुंच को जनसंख्या के व्यापक हिस्से तक पहुंच को संभव बनाया जा सके। इस पहल को तकनीक व सोशल मीडिया कंपनियों की तरफ से उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिली। विदेशी विशेषज्ञों व उद्यमी साझेदारों के लिए आपसी हितों के आधार पर भारत के दरवाजे खोलते हुए भारतीय कूटनीति ने, घरेलू स्तर पर आम लोगों के भविष्य में परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए विदेशी नीति के उद्देश्यों को पूरा करने की कोशिश की है जैसा पहले कभी नहीं हुआ। पिछले साल भारत के विकास को आर्थिक संस्थाओं व संगठनों ने भी माना है। अर्नेस्ट एंड यंग ने भारत को सबसे आकर्षक निवेश स्थल के रूप में शामिल किया है। 2015 की पहली छमाही में भारत हरित निवेश स्थलों की श्रेणी में सबसे ऊपर रहा। यूएस की विदेश नीति पत्रिका ने भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्थलों में सबसे पहले नंबर पर रखा है। यूएनसीटीएडी रैंकिंग में भी भारत की स्थिति में सुधार हुआ है और यह 15वें स्थान से 9वें स्थान पर आ गया है, वर्ल्ड बैंक की व्यापार शुरू करने के लिए सुगम रिपोर्ट 2016 में भारत को 12वें स्थान पर रखा है, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल कंपटेटिव इंडेक्स में 16 स्थानों की छलांग लगाई है। भारत में हो रहे बदलावों को विदेशों में प्रचारित करने को हमारी कूटनीति का मुख्य जोर रहा है।


पड़ोसी देश संबंधी कूटनीतिः नई सीमाओं की खोज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके शपथ-ग्रहण समारोह में सभी सार्क नेताओं को आमंत्रित करने की पथ-प्रदर्शक पहलकदमी के साथ भारत ने दक्षिण एशिया में अपने निकट पड़ोसियों के साथ निरंतर जुड़ाव बनाए रखा है।

प्रधानमंत्री के जून में बांग्लादेश दौरे ने बदलती कूटनीति को नई आवाज दी है। इस दौरे में दोनों देशों के बीच भूमि सीमा समझौता की सहमति का आदान-प्रदान भी हुआ। यह समझौता छोटे से जमीन के टुकड़े पर रह रहे हजारों लोगों के लिए एक नई सुबह लेकर आया और 68 साल पुराने भूमि विवाद खत्म हुआ। 161 एनक्लेव के लेन-देन की औपचारिक प्रक्रिया ने इस इलाके में रह रहे 51000 लोगों के जीवन में आशा और सम्मान लेकर आया। इसने उन संभावनाओं को उभारा कि कैसे कूटनीति आम लोगों के जीवन को नई दिशा दे सकती है।

6-7 जून के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से भारत-बांग्लादेश के बीच विकासशील सहयोग को नई ऊंचाइयां मिली, भारत ने बांग्लादेश को 2 बिलियन डॉलर का कर्ज देने का वचन दिया है जो भारत की तरफ से अब तक किसी देश को दिया गया सबसे ज्यादा कर्ज है। 2 बिलियन डॉलर के कर्ज ने बांग्लादेश के साथ भारत के जुड़ाव की बाधाओं को दूर किया है और दोनों देशों के बीच व्यापार, संपर्क व साझी समृद्धि लाने का प्रयास किया है। दोनों देशों ने संपर्क को और प्रगाढ़ करने के मकसद से दो नई बस सेवाएं शुरू की हैं। दोनों देश बांग्लादेश, भूटान, भारत व नेपाल के बीच उपक्षेत्रीय सहयोग का हिस्सा हैं जिनके बीच संपर्क व क्षेत्रीय एकता को मजबूत किया जा रहा है।

इसी तरह से, भारत का श्रीलंका के साथ रिश्तों ने नई सीमाओं तक पहुंची हैं और दोनों तरफ के नेताओं व विदेश मंत्रियों की यात्राओं से इसमें नई ऊर्जा आई है। श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मैथरिपाला सिरिसेना ने कार्यभार संभालने के एक महीने में के भीतर ही भारत की यात्रा की। मार्च में श्रलंका की यात्रा में प्रधानमंत्री ने भारत की तरफ से श्रीलंका में रेलवे के उन्नति के लिए 318 मिलियन डॉलर कर्ज की वचन दिया (नई दिल्ली का विकास सहयोग पहले से ही तकरीबन 1.6 बिलियन डॉलर का है)। श्रीलंकाई रूपया के स्थायित्व व लंका आईओसी (इंडियन ऑयल कॉर्प की श्रीलंका में सब्सिडरी) व सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के सहयोग से एक क्षेत्रीय पेट्रोलियम हब के रूप में ट्रीनकोमाली विकसित करने पर भी सहमति के लिए 1.5 बिलियन डॉलर के मुद्रा आदान-प्रदान समझौते की भी घोषणा हुई। दोनों देशों ने चार अन्य समझौते पर दस्तख्त किए जिसमें आधाकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा में छूट, यूथ एक्सचेंज, सीमा-शुल्क समझौता व रुहुना विश्वविद्यालय में भारत के सहयोग से रबिन्द्रनाथ टैगोर सभागार का निर्माण शामिल है।

अफगानिस्तान में बदल रही विकास प्रक्रिया की पृष्टभूमि में, भारत अफगानिस्तान के साथ निरंतर सहयोग का रिश्ता कायम रखे है और जद्दोजहद से गुजर रहे इस देश में दोस्ती के अफसाने को बढ़ावा दे रहा है। अप्रैल 2015 में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की भारत यात्रा में भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निमाण के संकल्पों को दुहराया। अफगानिस्तान में आर्थिक खुशहाली को ध्यान में रखते हुए दोनों तरफ से व्यापारिक वीजा की प्रक्रिया को आसान बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। अफगानिस्तान ने भारत के उस फैसले का स्वागत किया है जिसमें की तरफ से दी जाने वाली 1000 सालाना छात्रवृत्तियों को क्षमता निर्माण की पहल को देखते हुए अगले 5 साल तक के लिए बढ़ा दिया गया है। भारत ने अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारत के सहयोग से बन रहे भारत-अफगानिस्तान मित्रता (सलमा) बांध के लिए सहयोग को जारी रखेगा। आने वाले साल के पहले छह महीनों में इस बांध के पूरे होने के आसार हैं। काबुल में भारत के सहयोग से बन रहा राष्ट्रपति भवन, साथ ही साथ दोषी और चरीकार पावर स्टेशन का काम पहले ही पूरा हो चुका है।

भारत का हरमौसम मित्र भूटान के साथ रिश्तों को पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा ने और प्रगाढ़ किया है जो अब चक्रीय रूप में जारी है। भूटान के प्रधानमंत्री तशेरिंग तोब्ग्य की जनवरी में भारत यात्रा में हाइड्रोपावर के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया गया। अंतरसरकारी मॉडल के तहत कुल 2940 मेगावॉट के तीन मौजूदा एचईपी की प्रगति पर दोनों तरफ से संतोष व्यक्त किया गया।  दोनों देशों ने 10,000 मेटावॉट की पहल पर संकल्प व्यक्त किया और इस संदर्भ में कुल 2120 मेगावॉट के चार जेवी-मॉडल प्रोजेक्ट को जल्दी लागू करने की बात भी दुहराई गई।

25 अप्रैल को जब नेपाल में भूंकप आया, भारत इस प्राकृतिक व मानवीय त्रासदी में पहुंचने वाला पहला देश था। इसके साथ ही भारत ने विदेशों में अपनी सबसे वृहद आपात सहायता ऑपरेशन मैत्री शुरू कर दिया। जून में ईएएम की काठमांडू यात्रा के दौरान भारत ने भूकंप प्रभावित नेपाल के पुनर्निमाण के लिए 1 बिलियन डॉलर के कर्ज की घोषणा की। हालांकि नेपाल में नई संविधान, जिसमें की वहां के सभी तरह के लोगों की चिंताओं का ध्यान नहीं रखा गया है, की घोषणा के साथ ही राजनीतिक परिस्थितियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारत ने नेपाल के आंतरिक संकट का त्वरित समाधान निकालने के लिए समाज के सभी पक्षों के साथ बातचीत और उससे राजनीतिक स्थिति पर आमसहमति बनाने पर जोर दिया।

भारत मालदीव में राजनीतिक हिंसा के बावजूद वहां के नेताओं के साथ भी बातचीत में शामिल रहा है। इसे सितंबर में न्यूयॉर्क में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से इतर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत में देखा जा सकता है। इसके बाद विदेश मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज ने 10-11 अक्टूबर को इस द्वीप की यात्रा की संबंधों को पुनर्जिवित किया।

भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते रखना चाहता है, लेकिन यह आतंक व हिंसा मुक्त वातावरण में ही संभव है। आतंकी हमलों की पृष्टभूमि में रिश्तों को सुधारना अभी भी बड़ी चुनौती है लेकिन भारत ने ऊफा, रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच बातचीत के जरिये ठोस शुरुआत की है। बैठक का अंत इस बात के साथ हुआ कि शांति व विकास को बढ़ावा देना भारत व पाकिस्तान दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है। दोनों देशों ने आतंकवाद व जनता से जनता के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए पांच सूत्रीय एजेंडे पर जोर दिया है। ऊफा के तुरंत बाद आतंकी हमले जैसे कई तरह की रूकावटों के बावजूद तथा पाकिस्तान द्वारा एनएसए स्तर की शुरुआती बातचीत को स्थगित किए जाने के बाद दिसंबर में बैंकाक में एनएसए की बैठक अहम परिणाम रहा है, इसके बाद ईएएम ने हर्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए इस्लामाबाद गईं। कॉन्फ्रैंस के बाद ईएएम ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया और अपने समकक्ष सरताज अजीज से मिलीं जिसके बाद जारी एक साझे बयान में आतंकवाद की आलोचना की गई, साथ ही जोर दिया गया कि एनएसए सभी पक्षों पर निरंतर बातचीत करते रह सकते हैं और पाकिस्तान मुंबई हमलों के मामले पर शीघ्र सुनवाई करेगा। इन सबके बाद दोनों पक्ष समग्र द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने पर सहमत हैं, इसके तौर-तरीकों पर फैसला विदेश सचिवों द्वारा किया जा सकता।

म्यामांर ऐतिहासिक लोकतांत्रिक परिवर्तन की तरफ बढ़ रहा है, भारत ने वहां चुनाव का स्वागत किया और प्रधानमंत्री ने आंग सन सू की को संसदीय चुनाव में जीत पर बधाई दी है। नई दिल्ली में 16 जुलाई, 2015 को हुए पहले इंडिया-म्यामांर ज्वाइंट कंसुल्टेटिव कमीशन (जेसीसी) बैठक से दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय संबंध उर्ध्वाधर हैं, मौजूदा हवाई संपर्क को और आगे बढ़ाने, म्यामांर सरकार को विकास प्राथमिकताओं के लिए 500 करोड़ मिलियन यूएस डॉलर का कर्ज को जारी रखने व बीसीआईएम-ईसी व बिम्सटेक ढांचे के तहत क्षेत्रीय तथा उप-क्षेत्रीय सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर संकल्प व्यक्त किया है। कोमेन चक्रवाती तूफान के बाद आई बाढ़ व भूस्खलन के बाद भारत ने म्यामांर में आपदा राहत सहयोग में भी मददगार की भूमिका निभाया।

एक्ट ईस्ट पॉलिसीः दृष्टि, जोश व कार्यवाही की योजना

भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी‘ नए नेतृत्व के जोश व दूरदृष्टि पर आधारित है जिसने 2015 में नई ताकत हासिल की है। एसियान देशों व ईस्ट एशियाई क्षेत्रों के साथ आर्थिक व रणनीतिक साझेदारी में मजबूती में इसकी छाप देखी जा सकती है। भारतीय कूटनीति, आर्थिक रूप से इस गतिमान क्षेत्र से जुड़कर तथा इन देशों को भारत के विकास एजेंडे से जोड़ते हुए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटिज, स्टार्ट-अप इंडिया, एम-गवर्नेंस व स्कील इंडिया जैसे कार्यक्रमों में लाभ उठाना चाहती है।

इस वर्ष इस क्षेत्र के साथ भारत के सुरक्षा सहयोग में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिसमें आतंकवाद को हराने, समुद्री डकैती, पारंपरिक व गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए दोनों तरफ से सहयोग के लिए ठोस कदम की पहचान की गई। एक्ट ईस्ट पॉलिसी के ये मुख्य चालक नवंबर में कुआललंपुर में हुए इंडिया-आसियान व ईएएस समिट में तथा मलेशिया, सिंगापुर व दक्षिण कोरिया की द्विपक्षीय यात्राओं में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी में दिखता है। सिंगापुर के राष्ट्रपति ने भारत की यात्रा की और उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी की लाओस, कंबोडिया व इंडोनेशिया यात्रा, म्यांमार के विदेश मंत्री की भारत यात्रा, विदेश मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज की इंडोनेशिया व थाईलैंड की यात्रा ने भारत व ईस्ट एशियाई देशों के साथ रिश्तों को कई स्तरों पर और गहरा व पुनर्जिवित किया।

आसियान व ईएएस

दसवें भारत-आसियान समिट 2016 से 2020 तक के लिए आसियान-भारत कार्य योजना “शांति, प्रगति व साझी समृद्धी के लिए साझेदारी” के साथ संपन्न हुआ। इस क्षेत्र में भारत की कूटनीति की पहुंच में आसियान की केंद्रीयता को इस तरह से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 13वें भारत-आसियान समिट कुलाललंपुर में 1 बिलियन यूएस डॉलर के कर्ज का वचन दिया जिसका उद्देश्य उन परियोजनाओं को सहायता देना है जो आर्थिक विकास व समृद्धि के गलियारों तक जोड़ती के लिए डिजिटल व भौतिक संपर्क प्रदान करती हैं। सीएलएमवी देशों में निर्माण केंद्रों के विकास, कम लागत की तकनीकों के व्यावसायिकरण के लिए इनोवेशन प्लेटफॉर्म प्रदान करना, मौजूदा आसियान- इंडिया विज्ञान व तकनीक विकास निधि को 1 मिलियन यूएस डॉलर से बढ़ाकर 5 मिलियन करना परियोजना विकास निधि की कुछ महत्वपूर्ण घोषणाओं में से हैं। व्यापार के मामले में भारत-आसियान निवेश केंद्र जिसके जल्द ही काम करने लगने की उम्मीद है, इससे द्विपक्षीय व्यापार के 100 बिलियन डॉलर तक हो सकेगा।
रक्षा सहयोग में वृद्धि, धर्म व आतंक को अलग-अलग करने को बढ़ावा देना व सीसीआईटी को अपनाने पर जोर देना वो महत्वपूर्ण क्षेत्र थे जिन पर ध्यान दिया गया। वैश्विक समुद्री संचार लाइनों की सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा के केंद्रबिंदु हो गया है, भारत ने आसियान के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय कानून सिद्धांतों के अनुरूप व 1982 के समुद्री कानूनों के संदर्भ में यूएन कंवेंशन के मुताबिक नौपरिवह की स्वतंत्रता, मुक्त हवाई उड़ान, अबाध वाणिज्य के लिए साझे संकल्पों पर दृढ़ रहा है।

द्विपक्षीय बातचीत के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी की मई में दक्षिण कोरिया की यात्रा व उसके बाद नवंबर में मलेशिया व सिंगापुर की द्विपक्षीय यात्रा, देश के एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर मुख्य जोर को दर्शाता है। पीएम मोदी की मई में यात्रा के दौरान भारत व दक्षिण कोरिया ने अपने द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए विशेष रणनीतिक साझेदारी पर सहमत हुए और दोनों पक्ष के बीच देश में या बहुपक्षीय कार्यक्रम से अलग  वार्षिक सम्मेलन बैठक करने पर सहमति बनी। दोनों देशों ने अपने बहु-पक्षीय साझेदारी को सात नए द्विपक्षीय समझौतों पर दस्तख्त करके नई ऊर्जा दी। 2+2 के आधार पर कूटनीतिक व रक्षा वार्ता शुरू करने के फैसले साथ कोरियाई गणतंत्र दूसरा ऐसा देश बन गया है जिससे भारत इस तरह की वार्ता कर रहा है। दक्षिण कोरिया भारत के आर्थिक आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, इसकी कंपनियां भारत की वृहद उत्पादन परियोजनाओं में सहयोग करने को तत्पर हैं। भारत के महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जिसमें की मेक इन इंडिया व स्मार्ट सिटिज शामिल हैं, सिओल 10 बिलियन डॉलर के पैकेज के साथ इसमें सहयोग करने को उत्सुक है।

प्रधानमंत्री मोदी की मलेशिया की द्विपक्षीय यात्रा (23 नवंबर) में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ दोनों देशों ने अपने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया। मलेशिया, मलेशियाई कंपनियों के साथ भारत की स्मार्ट सिटिज परियोजना का हिस्सा बनने व भूमिका अदा करने को उत्सुक है तथा वह भारत के ढांचागत विकास में सहयोग करना चाहता है।

सिंगापुर के साथ भारत के रिश्ते, हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का अहम हिस्सा, एफडीआई का दूसरा बड़ा स्रोत है जिसने सिंगापुर के राष्ट्रपति की फरवरी में भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने कूटनीतिक रिश्तों की 50वीं सालगिरह मनाई । प्रधानमंत्री मोदी ने भी नवंबर 23-24 को सिंगापुर की यात्रा की। प्रधानमंत्री मोदी विश्व के उन कुछ नेताओं में से थे जिन्हें मार्च 2015 में इसके संस्थापक ली कून यू के निधन के बाद शोक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। अपनी नवंबर यात्रा के दौरान भारत व सिंगापुर ने रणनीतिक साझेदारी समझौत के संयुक्त घोषणापत्र पर दस्तख्त किए व साथ ही 10 द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए जिसमें रक्षा, साइबर सुरक्षा व नागरिक उड्डयन क्षेत्र से संबंधित समझौते शामिल हैं।

उप राष्ट्रपति की कंबोडिया, लाओस व इंडोनेशिया यात्रा व विदेश मामलों की मंत्री की थाइलैंड व इंडोनेशिया यात्रा ने भी आसियान के मुख्य साझेदारों के साथ हमारे सहयोग को मजबूत किया। थाइलैंड के साथ अपस्केल ट्रेड व निवेश के लिए दोहरे कराधान को दूर करने के लिए संसोधित संधि पर हस्ताक्षर हुए। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में थाइलैंड को शामिल करने के संबंध में एमओयू व थाई विश्वविद्यालयों में आर्युवेद चेयर स्थापित करने संबंध एमओयू के साथ दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को भी नई ऊर्जा मिली है।

महत्वपूर्ण शक्तियों के साथ संबंधः नया जोश, नया नजरिया

अपने निकट पड़ोसियों से इतर, नई सरकार, दुनिया की महत्वपूर्ण शक्तियों के साथ सक्रिय प्रभावशाली ढंग से जुड़ी रही और प्रधानमंत्री ने सभी पी5 देशों व जापान व जर्मनी सहित यूएन सुरक्षा परिषद के आशावान सदस्यों देशों की यात्राएं की। स्थापित व उभरते शक्ति केंद्रों के साथ लगातार व बहुरंगी रिश्तों ने नई उम्मीदों के द्वार खोले हैं, इससे इनके साथ अहम साझेदारियों के साथ भारत की उभरती वैश्विक ताकत वाली पदवी पर भी मुहर लगी है।

यूएस

नई सरकार के कूटनीतिक कैलेंडर की शुरुआत यूएस राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से शुरू होता है। राष्ट्रपति ओबामा भारत के गणतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे और वह ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्हें इसके लिए आमंत्रित किया गया। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी की यूएस यात्रा और राष्ट्रपति ओबामा की दूसरी भारत यात्रा से भारत-यूएस के रिश्तों में एक नया मील का पत्थर स्थापित होते देखा। दुनिया की सबसे पुराने लोकतंत्र और सबसे विशाल लोकतंत्र के बीच व्यापक सकारात्मक बदलाव के एजेंडे को “साझा प्रयास, सबका विकास” के रूप में जारी संयुक्त बयान में देखा जा सकता है। इस बयान से जाहिर होता है कि भारत के मौजूदा पुनरुत्थान में यूएस एक प्रमुख हिस्सेदार है। भारत-यूएस के बीच इस मौजूदा कायापलट में स्पष्ट नतीजे के रूप में ऐतिहासिक सिविल न्यूक्लियर डील पर अमल महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इन रिश्तों को रक्षा सहयोग में संयुक्त उत्पादन जैसी दिशा दिखाने वाली परियोजनाओं में विस्तार, हरित ऊर्जा, स्मार्ट सिटिज व इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को पांच गुना बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा है।

चीन
हमारा विस्तारित पड़ोसी चीन से भारत के रिश्ते में नई स्थिरता आई है साथ ही आर्थिक व रणनीतिक मोर्चे पर भी वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष सितंबर में चीन के राष्ट्रपति शी भारत की यात्रा की जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के तीन शहरों की यात्रा की जो अपने आप में कई मायनों में अभूतपूर्व रहा। प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले फरवरी में विदेश मामलों की मंत्री ने बीजिंग की यात्रा की जिसके साथ ही चीन में ‘भारत की यात्रा करो’ की पहल शुरू की गई, साथ ही चीनी नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।


प्रधानमंत्री श्री मोदी की 12-14 नवंबर को हुए पहले ब्रिटेन दौरे के दौरान दोनों देशों ने उच्‍च विकास चरण में प्रवेश किया। इस दौरान ब्रिटेन में कई स्‍तरों पर प्रतीकात्‍मक सद्भाव दिखाया, जिनमें ऐतिहासिक ब्रिटिश स्‍मारकों को तिरंगे से सजाया गया, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड कैमरन के सरकारी मेहमान बने, ब्रिटेन की महारानी के साथ दोपहर का भोज किया और पहली बार ब्रिटिश संसद को किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संबोधित किया। लंदन में हुई वार्ताओं के ठोस नतीजे रेखांकित करते हैं कि भारत के राष्‍ट्रीय पुनर्निर्माण संबंधी योजनाओं में ब्रिटेन की कुछ ज्‍यादा ही बड़ी भूमिका है। इनमें प्रमुख हैं- ‘मेक इन इंडिया’ और स्‍मार्ट सिटीज। इसके अलावा दोनों देशों के बीच सहयोग में अहम हैं- आर्थिक रिश्‍तों में नई जान फूंकने, रक्षा क्षेत्र में नई उछाल और सुरक्षा साझेदारी, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर अलग से संयुक्‍त बयान और विकासशील देशों में हिस्‍सेदारी को साझा करने संबंधी वक्तव्‍य। असैन्‍य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्‍ताक्षर, प्रधानमंत्री स्‍तर पर दो वर्षों में शिखर बैठक आयोजित करने के फैसले और नई रक्षा और अंतर्राष्‍ट्रीय सुरक्षा हिस्‍सेदारी संबंधी समझौतों से आने वाले दिनों में दोनों देशों को निश्‍चित रूप से फायदा पहुंचेगा। ब्रिटेन द्वारा सीसीआईटी पर समर्थन और भारत के पड़ोसी देशों में चल रहे भारत के खिलाफ आतंकी कार्रवाई भी महत्‍वपूर्ण बिन्‍दु है। 9 अरब 20 करोड़ पाउंड की भारी भरकम राशि खर्च करके निजी क्षेत्र को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाना आर्थिक संबंधों में मजबूती का प्रतीक है। इसमें 1 अरब 30 करोड़ पाउंड राशि वोडाफोन की ओर से निवेश की जाएगी। रेलवे के बुनियादी ढांचे के लिए लंदन स्‍टॉक बाजार में रुपए के बांड को भी सूचीबद्ध किया जाएगा, वाणिज्‍यिक समझौतों के तहत 3 अरब 20 करोड़ पाउंड की लागत से स्‍वच्‍छ ऊर्जा पैकेज पर भी काम हुआ है, इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से बराबर की आर्थिक हिस्‍सेदारी के रूप में सोलीहुल में जगुआर लैंड रोवर संयंत्र भी स्‍थापित किया जाएगा।



दूसरे क्षेत्र

पश्‍चिम एशिया : खुली आर्थिक राह

पश्‍चिम एशिया के साथ भारत के रिश्‍ते महत्‍वपूर्ण हैं क्‍योंकि इस क्षेत्र में 70 लाख मजबूत भारतवंशी रहते हैं। पश्‍चिम एशिया भारत के तेल आयात का 70 प्रतिशत से ज्‍यादा स्रोत भी है। पिछले 12 महीनों के दौरान इस क्षेत्र से भारत की उम्मीदें सीधे क्षितिज पर पहुंच गई हैं।

2015 के पहले तिमाही में कतर के अमीर ने 24-15 मार्च को भारत का दौरा किया। इससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक सहयोग में मजबूती आई है। इस दौरे मेंे चार सहमति पत्रों पर हस्‍ताक्षर हुए और विभिन्‍न क्षेत्रों – सूचना प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग और मीडिया के क्षेत्रों में दो संधियां हुई हैं। दोनों पक्षों ने सजायाफ्ता व्‍यक्‍तियों के स्‍थानांतरण और सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी मामलो में सहयोग बढ़ाने के अलावा सूचना साझा करने, खुफिया और कार्मिक प्रशिक्षण और मूल्‍यांकन के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने संबंधी संधियां की हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के 16-17 अगस्‍त के अमीरात दौरे से पूरा समीकरण बदल गया और दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी और आर्थिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के नए दरवाजे खुले हैं। इसके तुरंत बाद 3-4 सितंबर को संयुक्‍त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्‍दुल्‍ला बिन जायद अल नाहयान का दौरा हुआ। दोनों देशों ने वार्ता में अपने रिश्‍तों को नए सिरे से ढालने के लिए महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों के अलावा रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और उच्‍च शिक्षा में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। आतंकवाद रोधी उपायों को बढ़ाने और सुरक्षा सहयोग, सुरक्षा वार्ता शुरू करने, आतंकवाद रोधी अभियानों में तालमेल संबंधी कदम उठाने, कट्टरता रोधी, खुफिया सूचना साझा करने और क्षमता निर्माण की दिशा में दोनों देशों ने बिल्‍कुल नई पहल की है। संयुक्‍त अरब अमीरात ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में अंतर्राष्‍ट्रीय आतंक पर व्‍यापक सम्‍मेलन बुलाने की भारत की पहल को समर्थन देने का वचन दिया और उसने आतंकवाद को समर्थन देने वाले मुल्‍कों को अलग-थलग कर आतंकवाद के मूल ढांचे को नष्‍ट करने में सहयोग का संकल्‍प भी व्‍यक्‍त किया।

अगस्‍त में भारत दौरे पर आए ईरान के विदेश मंत्री जावेद जारिफ ने भारत और ईरान के बीच आर्थिक रिश्‍तों को बढ़ाने पर ध्‍यान केंद्रित किया। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक परमाणु समझौते और सुरक्षा परिषद के स्‍थायी पांच देशों और एक देश को इसमें और शामिल करने संबंधी बिन्‍दुओं पर ध्‍यान केंद्र किया गया। भारत-ईरान के रिश्‍तों को वार्ता के जरिए नया मोड़ देने और व्‍यापार और निवेश के दो रास्‍ते को प्रोत्‍साहित करने पर भी समझौता हुआ। दोनों के बीच मौजूदा क्रेता-विक्रेता जैसे रिश्‍तों से आगे बढ़ते हुए बेहतर ऊर्जा साझेदार बनने पर सहमति से निश्‍चित रूप से व्‍यापक प्रभाव पड़ा। दोनों देशों के बीच जारी चाहबहार और अंतर्राष्‍ट्रीय उत्‍तर-दक्षिण परिवहन गलियारें संबंधी परियोजनाओं और ईरान के रेल क्षेत्र में भारत की भागीदारी भी विचार-विमर्श के केंद्र में थी।

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी की 10-15 अक्‍टूबर को जॉर्डन, फिलिस्‍तीन और इजराइल दौरे के दौरान भारत ने इजराइल और अरब देशों के रिश्‍तों को साथ-साथ उन्‍नत करने संबंधी संकेत दिए।

इजराइल में दोनों पक्षों ने सौर ऊर्जा, डेयरी विकास, जल प्रबंधन, बागवानी, पशुधन और कृषि के अलावा दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए रोडमैप विकसित करने पर सहमति जताई है। भारत और इजराइल ने नई संभावनाओं और विभिन्‍न क्षेत्रों में बराबर सहयोग करते हुए व्‍यापार और परस्‍पर निवेश को बहुमुखी बनाने पर भी वार्ता की है। भारत और इजराइल की शिक्षण संस्‍थाओं के बीच 8 सहमति पत्रों का आदान-प्रदान और दोनों अंतर सरकारी समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए।

जॉर्डन में 16 सहमतियों और समझौतों पर सहमति बनी। इनमें शिक्षण संस्‍थाओं के बीच समझौतों के अलावा दोनों पक्षों ने आतंकवाद रोधी, रक्षा, आईटी और ऊर्जा जैसे विभिन्‍न क्षेत्रों में सहयोग की दिशा खोली है।

अपने फिलिस्‍तीन दौरे के दौरान राष्‍ट्रपति ने फिलिस्‍तीनियों की चिंताओं के प्रति भारत के सैद्धांतिक सहमति को दोहराया और संयुक्‍त फिलिस्‍तीन की दिशा में वार्ता से समाधान की जरूरत पर जोर दिया। इसके अलावा राष्‍ट्रपति ने कई स्‍तरों के रोडमैप और संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्‍तावों सहित इजराइल के साथ शांतिपूर्ण रिश्‍ते का समर्थन किया। 6 सहमति पत्रों और समझौतों पर हस्‍ताक्षर भी हुए जिसके तहत भारत फिलिस्‍तीन के छात्रों के लिए सालाना 10 से बढ़ाकर आईसीसीआर छात्रवृत्‍तियां देगा। भारत ने फिलिस्‍तीन प्राधिकरण को बजट समर्थन भी बढ़ाकर 50 लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया । भारत ने फिलिस्‍तीन में आईटी संबंधी एक उत्‍तमता केंद्र भी खोला है। इसी तरह का एक और केंद्र गजा में खोलने की घोषणा की है। रामल्‍ला में एक आईटी पार्क और फिलिस्‍तीनी राजनयिक संस्‍थान भी खोले जाने की घोषणा हुई है, जिस पर क्रमश: 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 4.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर लागत आने का अनुमान है।

अफ्रीका: बदलाव संबंधी कार्यसूची

भारत ने 26-29 अक्‍टूबर को नई दिल्‍ली में तीसरे भारत-अफ्रीकी फोरम शिखर सम्‍मेलन की मेजबानी की। इस तरह यह साल अफ्रीका के लिए भारत की कूटनीति का वर्ष रहा। शिखर सम्‍मेलन में सभी 54 देशों के शासनाध्‍यक्षों/ सरकारी प्रतिनिधियों में हिस्‍सा लिया। सम्‍मेलन में अफ्रीकी नेताओं का यह सबसे बड़ा जमावड़ा था और इससे अपने संसाधनों की विकास गाथा खोलने के भारत के गतिशील और परिवर्तनकारी एजेंडा पेश करने का मौका मिला।                    

इस शिखर सम्‍मेलन के जरिए भारत ने अफ्रीका केंद्रित 2063 एजेंडे की झलक दिखाई। शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अफ्रीकी देशों के सभी नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। शिखर सम्‍मेलन के बाद महत्‍वपूर्ण पहल पर ध्‍यान केंद्रित किया गया, जिसमें जनता से जनता के बीच संपर्क बढ़ाने और जानकारी के आदान-प्रदान पर जोर था। इस दौरान संपादकों के फोरम और प्राध्‍यापकों के फोरम की भी झलक मिली। भारत ने  कर्ज में छूट के रूप में अफ्रीका को 10 अरब अमेरिकी डॉलर भी मदद का एलान किया। इस तरह अफ्रीका में विकास संबंधी सहयोग नए मुकाम पर पहुंच गया। इसके अलावा 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्‍त  आर्थिक मदद की भी घोषणा की गई। यह मदद 100 मिलियन डॉलर वाले भारत-अफ्रीका विकास फंड और भारत अफ्रीका स्‍वास्‍थ्‍य कोष के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर के भीतर है। खास बात यह है कि परियोजनाओं पर कुल वित्‍तीय मदद का लाभ अगले पांच वर्षों यानी 2020 तक पूरा हो जाना है। यह राशि एलओसी से दोगुनी से ज्‍यादा है और पिछले दो शिखर सम्‍मेलनों के मौके पर भारत ने पिछली परियोजनाओं के लिए इन्‍हें देने का वायदा भी किया था। प्रशिक्षण संस्‍थानों की स्‍थापना के लिए 100 मिलियन डॉलर का विकास कोष गठित किया गया है और भारत-अफ्रीकी विकास सहयोग जैसी दूसरी परियोजनाओं में भी इस रकम का इस्‍तेमाल होगा। अगले साल होने वाले सम्‍मेलन में इस तरह के सहयोग पर कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। महाद्वीप की युवा शक्‍ति का दोहन करने के लिए भारत ने अगले 5 वर्षों में 50,000 अफ्रीकी छात्रों को छात्रवृत्‍ति देने का फैसला किया है। पहले के मुकाबले छात्रवृत्‍ति की यह संख्‍या दोगुनी है। भारत ने पैन अफ्रीका ई-नेटवर्क को विस्‍तार देने और डिजिटल संपर्क परियोजनाओं में जान फूंकने का भी फैसला किया है। इस समय 54 अफ्रीकी देशों में टेलीमेडिसीन और टेलीएजुकेशन की सुविधा है। इस तीसरे शिखर सम्‍मेलन में जलीय अर्थव्‍यवस्‍था के संयुक्‍त विकास के लिए ब्‍लू-प्रिंट तैयार किया गया है। इसके अतिरिक्‍त, इसमें व्‍यापक पैमाने पर सहयोग के ढांचे को भी जोड़ा गया है, जिनमें आतंकवाद, समुद्री डकैती, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, डब्‍ल्‍यूटीओ वार्ताएं और संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार जैसे विषय शामिल हैं। शिखर बैठक में भारत और अफ्रीका के मिलन के जरिए सुरक्षा परिषद के विस्‍तार को तेज करने पर भी जोर दिया गया। दोनों पक्षों ने इस बात पर बल दिया कि भारत और अफ्रीका के लिए स्‍थायी सीट के समर्थन के लिए एकजुट हुआ जाए। दोनों ने सहमति वाली परियोजना को तेजी से क्रियान्‍वित करने के लिए संयुक्‍त निगरानी तंत्र की स्‍थापना पर भी सहमति जताई।

शिखर सम्‍मेलन में भारत-अफ्रीकी रिश्‍ते सबसे ऊपर थे, लेकिन दक्षिण अफ्रीका और मिस्र के शीर्ष नेताओं के महत्‍वपूर्ण दौरे हुए। तंजानिया और मोजांबिक के राष्‍ट्रपतियों के आगामी दौरे भी होने हैं।

18-21 मई को विदेश मंत्री के दौरे ने दोनों देशों में सहयोग के 5 वर्षीय रणनीतिक कार्यक्रम के ढांचागत कार्यों को आगे बढ़ाया। दोनों देशों ने रक्षा, ज्‍यादा गहराई में खनन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण और बीमा क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता के आधार पर चिन्‍हित किया। दोनों पक्षों ने भारत-दक्षिण अफ्रीका वरीयतापूर्ण समझौता का भी निश्‍चय किया। विदेश मंत्री के 23-25 अगस्‍त को मिस्र के दौरे के दौरान सुरक्षा और आतंकरोधी सहयोग समझौता हुआ। इसके अलावा दोनों ने पर्यटन को बढ़ावा देने और विज्ञान-तकनीकी सहयोग को उन्‍नत करने के करार पर भी हस्‍ताक्षर किए। 17-21 जून को भारत के दौरे पर आए तंजानिया के राष्‍ट्रपति की यात्रा का निष्‍कर्ष यह रहा कि दोनों के बीच आतंकरोधी सहयोग बढ़ाने के लिए कार्यसमूह की स्‍थापना, तंजानिया में गैस क्षेत्र के विकास में भारत के सहयोग और पानी को को लेकर समझौते हुए। मोजांबिक के राष्‍ट्रपति के भारत दौरे (4-8 अगस्‍त) में व्‍यापार, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण में भारत की नीति साफ परिलक्षित हुई।

एपिक :

भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग (एपिक) की पहली बैठक में प्रधानमंत्री फिजी पहुंचे। 14 द्वीप वाले देशों के इस दूसरे शिखर सम्‍मेलन की भारत ने मेजबानी की। इस शिखर बैठक में कई क्षेत्रों में पहल के रास्‍ते खुले, जिनमें क्षमता निर्माण, विकास संबंधी सहयोग, नवीनीकृत ऊर्जा और जलीय अर्थव्‍यवस्‍था पर विशेष्‍ज्ञ जोर रहा। एपिक के बीच इस महत्‍वपूर्ण साझेदारी को मजबूत करने के लिए एपिक-2 में भारत ने प्रत्‍येक प्रशांत स्‍थित द्वीप देश में सूचना प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला की स्‍थापना का प्रस्‍ताव किया जिससे टेलीमेडिसीन और टेलीएजुकेशन की इस क्षेत्र के लोगों को सहूलियत मिले। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (एटिक) के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम की सुविधाएं बढ़ाईं। इसके तहत फिजी को 110 तरह की सुविधाएं मिलेंगी और बाकी 13 देशों को 113 से 238 तक दोगुनी सुविधाएं हासिल होंगी। भारत कुछ विशेष पहल के रूप में इस क्षेत्र में सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उपक्रमों के विकास में हिस्‍सेदारी करेगा। इसके अलावा, समुद्री जीवों पर अनुसंधान केंद्र सहित भारत इस क्षेत्र में सतत तटीय और महासागरीय अनुसंधान संस्‍थान स्‍थापित करेगा। इसके अलावा, भारत ने क्षेत्र के किसी एक देश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग केंद्र (एसटीएसी) स्‍थापित करने में भी सहयोग का प्रस्‍ताव किया है। प्रधानमंत्री ने व्‍यापक महासागर में स्‍थित इन देशों के शिखर सम्‍मेलन में कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र सुधार और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए नजदीकी सहयोग पर वे ठोस वार्ताएं चाहते हैं।

मध्‍य एशिया : उच्‍च प्रक्षेपपथ

2015 में भारत की मध्‍य एशिया से जुड़ने की नीति ने गति पकड़ी। इसके लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अनोखी यात्रा के क्रम में मध्‍य एशिया के सभी 5 देशों – उज्‍बेकिस्‍तान, कजाकिस्‍तान, तुर्कमेनिस्‍तान, किरगिस्‍तान और तजाकिस्‍तान का (6-13 जुलाई) दौरा किया। रूस के सोच्‍चि में हुए एससीओ शिखर सम्‍मेलन से हमारी भागीदारी तय हुई और इससे भारत के सभ्‍यतागत रिश्‍तों और संसाधन संपन्‍न, रणनीतिक दृष्‍टि से महत्‍वपूर्ण भारतीय महाद्वीप के महत्‍व को उभारने का मजबूत संदेश गया। सम्‍मेलन में भारत के नजरिए को संपूर्ण माना गया और ऊफा में हुए सम्‍मेलन से मध्‍य एशिया नीति से हमारी संपर्क को व्‍यापकतर मजबूती मिली। सम्‍मेलन का निष्‍कर्ष यह रहा कि इससे आर्थिक रिश्‍तों, ऊर्जा साझेदारी, गहरे सुरक्षा सहयोग और क्षेत्र के साथ सांस्‍कृतिक कूटनीति के गुणात्‍मक रिश्‍तों में बदलने में मदद मिली। विदेश मंत्री की अप्रैल में तुर्कमेनिस्‍तान और मई में तजाकिस्‍तान का दौरा हुआ जिससे जुलाई में इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री श्री मोदी का असरदार दौरा संभव हो पाया।

भारत और उज्‍बेकिस्‍तान ने दोनों देशों के विदेश विभागों के बीच पर्यटन, संस्‍कृति और सहयोग के क्षेत्रों में तीन समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए। भारत को 2000 मीट्रिक टन यूरेनियम की आपूर्ति के ठेके पर तेजी से अमल संबंधी फैसला, आतंकरोधी सहयोग बढ़ाने और स्‍थिर और समावेशी अफगानिस्‍तान के निर्माण पर विचार-विमर्श किया गया। प्रधानमंत्री मोदी की उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा इन्‍हीं विषयों पर केंद्रित थीं। कजाकिस्‍तान में प्रधानमंत्री ने सतपाऐव खंड के पहले तेल कुएं के खनन को देखा, इसमें ओएनजीसी का 25 प्रतिशत हिस्‍सा है। दोनों देशों ने भारत को प्राकृतिक यूरेनियम की दीर्घावधि आपूर्ति के नवीनीकृत समझौते पर भी हस्‍ताक्षर किए और पाइप लाइन द्वारा गैस और तेल की आपूर्ति और भारत को कजाकिस्‍तान से एलएनजी की पाइप लाइन से आपूर्ति के तरीके खोजने पर भी सहमति बनी। संयुक्‍त बयान में ‘तेज कदम’ पर जोर दिया गया है, जिसमें भारत कजाकिस्‍तान के रिश्‍तों के विकास के लिए पांच संधियों पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं, जिनमें रक्षा क्षेत्र में उन्‍नयन और सैन्‍य-तकनीकी सहयोग समझौता भी शामिल है।

क्षेत्र में ऊर्जा के मामले में एक और प्रगति तब हुई जब तुर्कमेनिस्‍तान-अफगानिस्‍तान-पाकिस्‍तान-भारत (तापी) गैस पाइप लाइन के क्रियान्‍वयन पर फैसला हुआ। इसको लेकर ऐतिहासिक समारोह हुआ। इसके लिए दिसंबर में अपने दौरे के दौरान उपराष्‍ट्रपति समारोह में उपस्‍थित थे। भारत और तुर्कमेनिस्‍तान ने दीर्घावधि के ऊर्जा हिस्‍सेदारी की। इसमें ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने तुर्कमेनिस्‍तान में अपना कार्यालय खोला और दोनों देशों ने एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए। इस पर तुर्कमेनहिमिया और भारत के सार्वजनिक उपक्रम राष्‍ट्रीय कैमिकल्‍स और फार्टिलाइजर्स लिमिटेड ने दीर्घावधि के ऊर्जा हिस्‍सेदारी की। इसमें ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने तुर्कमेनिस्‍तान में अपना कार्यालय खोला और दोनों देशों ने एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए। इस पर तुर्कमेनहिमिया और भारत के सार्वजनिक उपक्रम राष्‍ट्रीय कैमिकल्‍स और फार्टिलाइजर्स लिमिटेड ने दीर्घावधि के लिए तुर्कमेनिस्‍तान से यूरिया आयात करने के समझौते किए। रक्षा सहयोग समझौते पर हुए हस्‍ताक्षर से आतंकरोधी सहयोग बढ़ने की आशा है। किर्गिस्‍तान से भी रक्षा सहयोग समझौता हुआ। इसके तहत संयुक्‍त सैन्‍य अभियान, सैन्‍य विशेषज्ञों और पर्यवेक्षकों के आदान-प्रदान, सैन्‍य शिक्षा और प्रशिक्षण के साथ ही क्षमता निर्माण को आगे बढ़ाने की सराहना हुई। भारत ने तजाकिस्‍तान के 37 स्‍कूलों को कम्‍प्‍यूटर लैब स्‍थापित करने का भी प्रस्‍ताव किया है। दोनों पक्षों ने कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए सात चरणों वाले ढांचागत कार्यों को निष्‍पादित करने पर भी सहमति जताई।

जी-20

प्रधानमंत्री ने तुर्की में हुए जी-20 शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लिया। वैश्‍विक आर्थिक वृद्धि को बहाली करने और इसमें वैश्‍विक लेखा-जोखा शामिल किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। भारत ने जी-20 के नतीजों को विकासशील देशों की आकांक्षा पर केंद्रित आर्थिक निवेश रणनीति की विजय बताया और वैकल्‍पिक वित्‍तीय ढांचे और पारदर्शी जांच-पड़ताल संबंधी विकल्‍पों का प्रस्‍ताव किया। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की भ्रष्‍टाचार और काला धन पर कोई ढील न देने पर जोर दिया। पेरिस आतंकी हमलों के मद्देनजर आतंकवाद से मुकाबले के लिए 10 सूत्री योजना की घोषणा की। इसमें आतंकी ढांचे को आर्थिक सहयोग रोकने और लक्षित वित्‍तीय प्रतिबंधों पर जोर दिया, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को अलग-थलग किया जा सके।

कोप-21

पेरिस में हुए इस सम्‍मेलन में भारत ने समझौते में अहम भूमिका निभाई और विकासशील देशों की चिंता से लोगों का परिचय करवाया। समझौते में कई साझा बातें हैं, लेकिन इनमें जिम्‍मेदारियां अलग-अलग हैं, जो विभिन्‍न राष्‍ट्रीय हालात के आलोक में दिखते हैं। जलवायु वित्‍त और विकसित देशों के नजरिए को भी प्रावधान बनाते समय इसमें डाला गया है। यह भी कहा गया कि अभी काफी काम किया जाना बाकी है।

मूलवंशी और वाणिज्‍य, पासपोर्ट सेवाएं

विदेशों में भारतवंशियों की 25 मिलियन की मजबूत जनसंख्‍या और तीव्र मानसिक शक्‍ति के मिलन से विदेशों में भारतीयों ने अपने सम्‍मान का झंडा बुलंद किया। इस तरह हमारे राष्‍ट्रीय पहचान पुनर्जागरण वाली रही। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक शैली और भारत सरकार के जबर्दस्‍ती संकल्‍प के चलते भारतवंशियों में ऊर्जा का नया संचार हुआ।

2015 का कूटनीतिक कैलेंडर गांधीनगर में 13वें प्रवासी भारतीय दिवस से हुआ, जिसमें 4 हजार से ज्‍यादा प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस साल महात्‍मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से स्‍वदेश वापसी की 100वीं वर्षगांठ भी मनाई गई। विदेशों में पार्टी समुदाय ने कई जगह समारोह आयोजित किए। प्रधानमंत्री के न्‍यूयॉर्क दौरे के दौरान हजारों भारतवंशियों के समारोह को संबोधित किया। इसके अलावा उन्‍होंने पेरिस, बर्लिन, टोरंटो, लंदन, सेन फ्रांसिस्‍को, दुबई, क्‍वालालम्‍पुर और सिंगापुर में भी उत्‍साही जनसमूहों को संबोधित किया। इन देशों में प्रधानमंत्री ने बेहतरीन जनसभाएं कीं। ‘स्‍वच्‍छ भारत’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्‍किल इंडिया’ और ‘क्‍लीन गंगा’  जैसे राष्‍ट्रीय अभियानों से लोगों का उत्‍साह बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने अप्रवासी भारतीयों को वीजा की समस्‍या दूर करने और सरकार के कई कार्यक्रमों में से स्‍वच्‍छ भारत कोष और स्‍वच्‍छ गंगा कोष के लिए निवेश का आह्वान किया। खाड़ी के पांच देशों की मडाड योजना को शुरू किया गया, जो भारतवंशियों की शिकायतों पर ऑनलाइन सेवा है।

इसके अलावा मिशन मोड प्रोजेक्‍ट शुरू किया गया है, जिसके लिए आईएसओ प्रमाणन (9001: 2008, 20000: 2011,27001: 2013) विशिष्‍ट सेवा दी गई जो अनूठी है। एक करोड़ पासपोर्ट बुकलेट के जरिए सुविधाएं दी गईं। 10 लाख से ज्‍यादा पासपोर्ट के आवेदन को आगे बढ़ाया गया और एक लाख सेवा केंद्र देशभर में खोले गए। इसके अलावा, 21 दिनों के भीतर 96 प्रतिशत आवेदकों के पुलिस सत्‍यापन किए गए। मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और सिक्‍किम में पासपोर्ट सेवा केंद्र को गति दी गई बाकी केंद्र आगामी महीनों में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और त्रिपुरा में खोले जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने सभी भारतीय मिशनों को अपनी सेवाओं में सुधार और गति लाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए आउटसोर्स काउंट्रेक्‍ट दिया गया है।

अंत में पिछले 12 महीनों में सरकार ने विदेशों में संघर्षरत हालात में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्‍चित की है। हमने सीरिया और लीबिया से अपने नागरिकों को निकाला है। यमन में ऑपरेशन राहत बड़ी पहल है, इसमें नौसेना और वायु सेना की मदद से 4741 भारतीयों और 1947 विदेशियों को हिंसाग्रस्‍त क्षेत्रों से निकाला गया। विभिन्‍न असैन्‍य और सैन्‍य एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के साथ अभियान संचालित कर लोगों को बचाया गया। यह विदेश मंत्रालय के प्रत्‍यक्ष हस्‍तक्षेप और नेतृत्‍व से संभव हुआ।

निष्‍कर्ष :

2015 खत्‍म होने के मुहाने पर है। भारत ने अपने कूटनीतिक ग्राफ को विशेष गर्व के साथ नई ऊंचाई दी है और वह कई तरह के चुनौतियों से निपटने और उम्‍मीद की रोशनी बना है। पड़ोसी देशों से हमारे रिश्‍ते नई तरह से सुधरे है और बड़ी शक्‍ति केंद्रों के साथ तालमेल बेहतर हुआ है। अफ्रीका, मध्‍य एशिया, पश्‍चिम एशिया में हमारी कामयाबी साफ दिख रही है। 2015 की बहुस्‍तरीय उपलब्‍धियां और भारत के वैश्‍विक भूमिका में आने की सबूत हर स्‍तर पर दिख रहे हैं। इस तरह से देश की विदेश नीति और कूटनीतिक व्‍यवस्‍था मील का पत्‍थर साबित हुई है। इस तरह नए द्वार भी खुले हैं।









Happy New Year 2016





राम राम जी
आप सभी को नवीन ग्लोबल पत्रिका परिवार की तरफ से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।












                              जिन्दगी का एक ओर वर्ष कम हो चला, कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..
                              👌कुछ ख्वाईशैं दिल मे रह जाती हैं..कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं..
                              👌🏽कुछ छोड़ कर चले गये..कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर मे ..
👌                              कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..
👌🏽                             कुछ मुझे मिल के भूल गये..कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..
👌                              कुछ शायद अनजान हैं..कुछ बहुत परेशान हैं..
👌                             🏽कुछ को मेरा इंतजार हैं ..कुछ का मुझे इंतजार है..
                              👌कुछ सही है कुछ गलत भी है. कोई गलती तो माफ कीजिये और कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।
                             

                                 आपका अपना
💕💕
                                   नवीन चौधरी

Wednesday, 30 December 2015

एसीसी नियुक्तियां

राम राम जी
जानिये मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने किस अधिकारी को किस पद की मंजूरी दी है- 

I. अपने कैडर में तैनात श्री संजय मित्रा, आईएएस (पश्चिम बंगाल: 1982) को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव नियुक्त किया गया है। यह पद श्री विजय छिब्बर, आईएएस (एमएनः1978) के 31 दिसंबर, 2015 को सेवानिवृत्त होने के बाद रिक्त हो रहा है।

II. वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में विशेष सचिव सुश्री रश्मि वर्मा, आईएएस (बिहार: 1982), को कपड़ा मंत्रालय में सचिव नियुक्त किया गया है। यह पद श्री संजय कुमार पांडा, आईएएस (टीआर: 1980) के 31 दिसंबर, 2015 को सेवानिवृत्त होने के बाद रिक्त हो रहा है।

III. भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय के सार्वजनिक उद्यम विभाग में विशेष सचिव श्री नीरज कुमार गुप्ता, आईएएस (यूपी: 1982) को वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग में सचिव नियुक्त किया गया है। यह पद सुश्री अराधना जौहरी, आईएएस (यूपीः1980) को राष्ट्रीय रासायनिक हथियार कन्वेंशन प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद खाली हो रहा है।

IV. वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग में सचिव सुश्री आराधना जौहरी, आईएएस (यूपी: 1980) को राष्ट्रीय रासायनिक हथियार कन्वेंशन प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है।

V. कैबिनेट सचिवालय में सचिव (समन्वय) श्री संजय कुमार श्रीवास्तव, आईएएस (यूटी: 1980) अपने पद पर बने रहेंगे। उन्हें सचिव (सुरक्षा) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। वह यह जिम्मेदारी इस पद पर किसी की नियमित नियुक्ति होने या अगले आदेश, जो भी पहले हो तक संभालेंगे।

VI. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग में सचिव श्री अमिताभ कांत, आईएएस (केएल: 1980), नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। इस पद को संभाल रहीं सुश्री सिंधुश्री खुल्लर आईएएस (रिटायर्ड) (यूटी: 1975) का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2015 को पूरा हो रहा है। श्री अमिताभ कांत यह जिम्मेदारी इस पद पर किसी की नियमित नियुक्ति होने या अगले आदेश, जो भी पहले हो तक संभालेंगे। ्

जनवरी के शुरू में नये शहरी क्षेत्र की पहल के तहत 20 स्‍मार्ट सिटी की घोषणा 2015 में श‍हरी नियोजन और विकास की नई बुनियाद बुनियादी शहरी ढांचे और आवासीय सुविधा में 42,000 करोड़ रूपये से ज्‍यादा निवेश को मंजूरी शहरों के बीच स्‍पर्धा और अंतराल के विश्‍लेषण पर आधारित व्‍यापक योजना के तहत निश्चित संसाधन राशि तय


2015 में श‍हरी नियोजन और विकास की नई बुनियाद बुनियादी शहरी ढांचे और आवासीय सुविधा में 42,000 करोड़ रूपये से ज्‍यादा निवेश को मंजूरी

शहरों के बीच स्‍पर्धा और अंतराल के विश्‍लेषण पर आधारित व्‍यापक योजना के तहत निश्चित संसाधन राशि तय


शहरी विकाश मंत्रालय 30 दिसम्बर 2015
प्रिय पाठक करंट अफेयर की कङी में पढिये .......

नया साल 2016 देश में श‍हरी विकास के इतिहास में अभू‍तपूर्व अध्‍याय जोड़ेगा, क्योंकि नये साल की शुरूआत में 20 स्‍मार्ट सिटी की पहली घोषणा हो रही है। इसके अलावा, इस साल नये शहरी मिशन के तहत केन्‍द्र सरकार कई नई पहल को भी मूर्त रूप देने जा रही है।

दूसरे चरण में सिटी चैलेंज के तहत 97 शहरों को स्‍मार्ट सिटी में बदलने का आकलन किया जाएगा। इस पर पहले ही प्रतियोगिता के तहत कामकाज जोरों पर है। इस तरह शहरों के बीच प्रतिस्‍पर्धा को शीघ्र ही सर्वोच्‍च वरीयता देते हुए इसके नतीजों की घोषणा की जाएगी। यह अपनी तरह का पहला आवंटित संसाधन होगा।

सरकार ने वर्ष 2015 में शहरी योजना के लिए फिर से मानक तय कर दिये हैं। इसके लिए 2015 में करीब 42,000 करोड़ रूपये के निवेश को मंजूरी भी दी गई। इसमें जलापूर्ति, मल निकासी नेटवर्क, तीव्र जल लाइनें, शहरी यातायात और खुली जगहों के मामले में बुनियादी ढांचों में सुधार के लिए 19,170 करोड़ रूपये का निवेश भी शामिल है। इस साल जून में शुरू हुए पुनर्सुधार और शहरी परिवर्तन संबंधी अटल मिशन ‘अमृत’ के अंतर्गत 18 राज्‍यों के 474 शहरी क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

22,000 करोड़ रूपये से ज्‍यादा निवेश के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) जैसे महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम के तहत 11 राज्‍यों के 227 शहरों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 4,25,000 घरों के निर्माण का लक्ष्‍य रखा गया है।

शहरी क्षेत्रों को आर्थिक विकास की उच्‍च दर के साथ ज्‍यादा असरदार तरीके से उभारने के अलावा इन क्षेत्रों को ज्‍यादा आवासीय बनाने की दिशा में सरकार ने शहरी योजना की तदर्थ सोच पर पूर्ण विराम लगा दिया है। इसके अतिरिक्‍त, सरकार द्वारा नये शहरी क्षेत्र संबंधी पहल के तहत इन्‍हें संसाधन भी आवंटित कर दिये गये हैं।

पांच साल के दौरान 50,000 करोड़ रूपये की केन्‍द्रीय सहायता को शहरी मंत्रालय और विभागों ने चुनिंदा शहरों के लिए आवंटित कर दिया है। इसे शहरी आबादी और अधिसूचित शहरी स्‍थानीय निकायों के साथ ही प्रत्‍येक राज्‍य में शहरी गरीबों को तथ्‍यपरक मानदंड बनाकर प्रस्‍तुत किया गया है। नये शहरी मिशनों के तहत इसे चयनात्‍मक मानदंड पर भी रखा जाएगा। नये पायदान की शुरूआत के लिए निचले स्‍तर पर नये शहरी मिशन के अंतर्गत परियोजनाओं की पहचान और विकास की परख करने वाले नागरिकों और दूसरे हितधारकों की सलाह लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

अटल मिशन का लक्ष्‍य बुनियादी शहरी ढांचे में सुधार करना है। इस तरह बेहतर समाधान के तरीके अपनाकर और बुनियादी ढांचे की अहम कमियों को सामने लाकर रहन-सहन के स्‍तर को उन्‍नत करने वाले आधारित क्षेत्र चिन्ह्ति कर उनका विकास करना अटल मिशन का उद्देश्‍य है।

जेएनएनयूआरएम यानी शहरी विकास मिशन के दस साल के भीतर केन्‍द्र सरकार ने राज्‍यों और शहरी स्‍थानीय निकायों को 38,000 करोड़ रूपये उपलब्‍ध कराये। अमृत और स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत सरकार करीब 4,00,000 करोड़ रूपये राज्‍यों को देने के लिए कृतसंकल्‍प है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत शहरी गरीबों के लिए 2 करोड़ घरों के निर्माण का खर्च उपलब्‍ध कराया गया है।



आपका लाढ प्यार यूँ ही बनायो राख्यो दोस्तो !
थ्आरो लाडलो

कामयाब रहा भारतीय नौसेना का लंबी दूरी का मिसाइल प्रक्षेपण

Date 30/12/2015 current affair

भारतीय नौसेना ने अपनी विकसित नवीनतम मिसाइल का आज सफल प्रक्षेपण किया। यह मिसाइल आकाश युद्ध में अपनी दमदार योग्‍यता साबित करने की सभी खूबियों से लैस है। लंबी दूरी की यह मिसाइल सतह से हवा में मार करने की क्षमता रखती है। इसे आईएनएस- कोलकाता से पश्चिमी समुद्री क्षेत्र से दागा गया। इस दौरान मिसाइल ने निश्चित दूरी तय करते हुए अपने हवाई लक्ष्‍य को सफलतापूर्वक भेदा। इस मिसाइल में अन्‍य खूबियों के अलावा विविध निगरानी और खतरा भांपने वाले रडार को चकमा देने की क्षमता है। इसके अलावा, यह मिसाइल प्रक्षेपण पथ को भी समझने में सहायक है। यह मिसाइल का परीक्षण भारतीय नौसेना के अनुसंधान विकास विभाग और इजराइल के अंतरिक्ष से संबंधित उद्योग ने मिलकर किया है। मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान-विकास प्रयोगशाला ने इजराइल के अंतरिक्षीय उद्योग समूह के साथ मिलकर किया है। मिसाइल का निर्माण भारत की कंपनी भारत डाइ‍िनमिक्‍स लिमिटेड ने किया है।

सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल को कोलकाता श्रेणी के विध्‍वंसक युद्धपोत पर तैना‍त किया जाएगा। इसके अलावा, भविष्‍य के सभी युद्धपोतों को इस मिसाइल से लै‍स किया जाएगा। एफएम स्‍टार के साथ इस मिसाइल को युद्धपोतों पर फिट किया जाएगा, जिससे युद्धपोतोंकी मार क्षमता में जबरदस्‍त इजाफा होगा। इस मिसाइल से लैस होने के बाद भारतीय नौसेना की समुद्रपारीय अभियानों में जबरदस्‍त धार आएगी।

Tuesday, 29 December 2015

RAS राजेन्द्र सिंह शेखावत

RAS 2012 के चयनित और पुरे राजस्थान में तिसरी रेंक प्राप्त करने वाले राजेन्द्र सिंह जी शेखावत बता रहे हैं कुछ महत्वपूर्ण जानकारी :-
आईये जानते हैं उन्ही के शब्दों में 
Ras 2013 प्रारंभिकी के सम्पन्न होने के बाद संभावित सफल विद्यार्थियों के दिमाग में पहला प्रश्न कौंधता है-न्यूनतम समय में क्या पढ़ा जाये कि अच्छे अंक प्राप्त किये जा सके तथा इस हेतु सर्वाधिक उपयोगी पुस्तकें कौनसी है?
हालाँकि यूटोपिया का यह यक्ष प्रश्न सदैव अनुत्तरित रहा है फिर भी मेरे विवेक से कुछ पुस्तकें/रेफरेंस कंटेंट निम्न है जो आपके लिए RAS 2013 की मुख्य परीक्षा में काफी मददगार हो सकती है--
1.पेपर प्रथम--
इतिहास-
प्राचीन भारत-k c श्रीवास्तव
मध्य भारत-l p शर्मा
आधुनिक भारत-टीच योरसेल्फ प्रकाशन
विश्व भारत-शर्मा &व्यास
किरण गाइड(तथ्यात्मक)
राजस्थान का इतिहास-कालूराम शर्मा &लक्ष्य 2016 गाइड
2.भारतीय संविधान व् राजनीति व्यवस्था-
1.M LAXMIKANT(TMH PUBLICATION)
2.INDIAN CONSTITUTION-SUBHASH KASHYAP
राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था-लक्ष्य 2016 गाइड
3.
अर्थशास्त्र-
भारत-लाल&लाल
राजस्थान-लक्ष्मी राम नाथुरामका
4.भूगोल-
विश्व एवम् भारत- क्रॉनिकल प्रकाशन की वैकल्पिक भूगोल (लेखक संजय सिंह)
राजस्थान भूगोल-लक्ष्य व् BC जाट की पुस्तक
पेपर द्वितीय---
गणित--RS अग्रवाल
रीजनिंग-US शेखावत
साइंस-लुसेंट जनरल साइंस
टेक्नोलॉजी-TMH(लेखक-शीलवंत सिंह)।।।
राजस्थान के संदर्भ में --लक्ष्य 2016
3.पेपर तृतीय---
1.क्रॉनिकल मासिक
2.दर्पण मासिक
3.अन्तराष्ट्रीय क्रोनोलॉजि
4.भारत व् राजस्थान के विशेष संदर्भ में पैनोरमा की पुस्तकें/गाइड
5.प्रशासन व् प्रबंध-सुरेन्द्र कटारिया की प्रशासनिक सिद्धान्त व् प्रबंध
6.प्रशासनिक नीतिशास्त्र-सुरेन्द्र कटारिया की पुस्तक
4.पेपर चतुर्थ(भाषा)
1.हिंदी-राघव प्रकाश की सामान्य हिंदी व्याकरण
+9-12 की सरल हिंदी व्याकरण
2.आंग्ल भाषा-BK रस्तोगी
व् रेन & मार्टिन की हाई स्कूल ग्रामर बुक मय solution key
3.राजस्थानी साहित्य-लक्ष्य प्रकाशन की इस विषयक प्रकाशित पुस्तक
उक्त किताबो के साथ आप चाहे तो किसी भी प्रख्यात कोचिंग के नोट्स यथा-स्प्रिंगबोर्ड जयपुर तथा परीक्षा काल में प्रकाशित होने वाली च्यवन प्रकाशन की गाइडस का भी सहारा ले सकते है ताकि सम्पूर्ण पाठ्यक्रम कवर किया जा सके।
अंततः आप सबको शुभकामनाये।
केवल और केवल आपकी कड़ी मेहनत ही आपको सफलता दिला सकती है।
'जब टूटने लगे हौसला तो ये याद रखना,
बिन मेहनत के तख्तो ताज नही होते ,
ढूंढ लेते है अंधेरों में भी रौशनी 
क्योंकि जुगनू रौशनी के मोहताज नही होते।
इन्ही शुभेच्छाओं के साथ "
बहुत बहुत धन्यवाद सर !
आपका अपना 
नवीन चौधरी
संपादक व लेखक 
नवीन ग्लोबल पत्रिका

चित्र छाया में आदरणीय राजेन्द्र जी शेखावत की सक्सेस स्टोरी हमारी पत्रिका में

रेलवे भर्ती अधिसुचना



  • रेलवे ने सहायक स्टेशन मास्टर, गुड्स गार्ड, वरिष्ठ लिपिक, पूछताछ मय आरक्षण क्लर्क सहित अनेक पदों पर बम्पर भर्तियों के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। विभिन्न पदों पर देश भर में 18 हजार 252 बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 26 दिसम्बर से प्रारंभ होगी जबकि आवेदन करने की अंतिम तिथि 26 जनवरी 2016 तय की गई है।


रेलवे में गुड्स गार्ड पद पर सबसे अधिक भर्तियां होंगी। इस वर्ग में 7591 रिक्तियां निकाली गई हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर सहायक स्टेशन मास्टर के लिए 5 हजार 942 पदों पर भर्ती होगी। कनिष्ठ लेखा सहायक मय टंकक के लिए 1 हजार 205 भर्तियां होंगी।

इसके अलावा कमर्शियल अप्रेंटिस, ट्रेफिक अप्रेंटिस, वरिष्ठ लिपिक मय टंकक, पूछताछ मय आरक्षण क्लर्क जैसी लोकप्रिय कोटियों पर भी भर्तियां की जाएंगी। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने गत दो दिसम्बर के अंक में इस संबंध में समाचार प्रकाशित किया था।

एक लिखित परीक्षा और नियुक्ति

रेलवे में इस बम्पर भर्ती के लिए इस बार केवल एक ही लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसी परीक्षा के आधार पर सीधे ही नियुक्यिां मिलेंगी। रेलवे में पूर्व में भर्ती के लिए दो लिखित परीक्षाएं आयोजित करने की व्यवस्था थी जिसे इस बार से बदल दिया गया है। ऑन लाइन लिखित परीक्षा मार्च से मई 2016 के बीच पूरे देश में एक साथ आयोजित की जाएगी।
पद और रिक्तियां

गुड्स गार्ड 7 हजार 591

सहा. स्टेशन मास्टर 5 हजार 942
कनिष्ठ लेखा सहायक मय टंकक 1 हजार 205

कमर्शियल अप्रेंटिस- 703
ट्रेफिक अप्रेंटिस 1 हजार 545

वरिष्ठ लिपिक मय टंकक- 869
पूछताछ मय आरक्षण क्लर्क 127

टे्रफिक सहायक 166
सीनियर टाइम कीपर 04

रेलवे में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। 26 दिसम्बर को अधिसूचना प्रकाशित हो चुकी है।
अधिक जानकारी के लिए रेलवे की आधिकारिक वेबसाईट का विजिट करें।

Sunday, 27 December 2015

केन्द्र सरकार की योजनाएँ

प्रिय पाठक ,
आज से हम केन्द्र सरकार की योजनाओं पर एक नजर ढालते हैं।हैं।
तो शुरू


कपड़ा मजदूर पुनर्वास निधि योजना के बारे में जानकारी

कपड़ा मजदूर पुनर्वास निधि योजना 1986 में शुरू की गई थी जिसे कपड़ा मजदूरों के विकास के लिए शुरू किया गया था। योजना केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है। यह योजना उन मजदूरों के लिए है जो बंद हो चुकी किसी कपडा टेक्सटाइल में पांच साल या उससे अधिक समय के लिए कार्य कर चुके हैं। इस योजना के अंतर्गत वह सभी मजदूर जो 1985/06/06 से 1993/01/04 के बीच बंद हुई किसी मिल में 2500 प्रति माह या उससे कम वेतन ले रहे थे और उसके बाद बंद हुई मिलो में 3500 प्रतिमाह का वेतन ले रहे थे इस योजना के लिए पात्र हैं। कपड़ा मजदूर, वस्त्र आयुक्त के कार्यालय से संपर्क कर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

लघु उद्योग हथकरघा क्षेत्र के विद्युत् करघा के यथास्थान उन्नयन हेतु पायलट योजना

वस्त्र मंत्रालय द्वारा लघु उद्योग हथकरघा क्षेत्र के विद्युत् करघा के यथास्थान उन्नयन हेतु पायलट योजना शुरू की गई है। योजना केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है। सभी विद्युत् करघा इस योजना के लिए पात्र हैं। लाभार्थी योजना के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए वस्त्र आयुक्त के कार्यालय और वस्त्र मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना के बारे में जानकारी

 वस्त्र मंत्रालय द्वारा देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में शुरू की गई पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना (एनईआरटीपीएस) के बारे में जानकारी प्राप्त करें। उपयोगकर्ता पात्रता मानदंड, लाभार्थी प्रकार और योजना के लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। योजना का लाभ केसे उठायें इससे सम्बंधित जानकारी प्रदान की गई है। आवेदन अधिकार और ज़रूरी दस्तावेजों की जानकारी भी दी गई है।

जूट प्रौद्योगिकी योजना

वस्त्र मंत्रालय ने जूट फाइबर की उपज और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए जूट प्रौद्योगिकी योजना(जेटीएम) शुरू की है। योजना जूट उद्योग में लाभ प्राप्त करने के लिए शुरू की गई है। योजना, उसके उद्देश्यों, वित्तपोषण, लाभार्थियों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। आवेदन करने की प्रक्रिया, आवेदन करने का स्थान, संबंधित प्राधिकरण और अधिकारियों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।



इंतजार कीजिए अगले पोस्ट का उसमें हम अन्य योजनाओं के बारे में जानेगें......
आपका अपना
नवीन चौधरी
संपादक नवीन ग्लोबल पत्रिका

राजस्थान की मुख्यमंत्री

प्रिय पाठक ,
अब हम राजस्थान की माननीय मुख्यमंत्री के बारे में जानते हैं ।

  श्रीमती वसुंधरा राजे

 


नाम श्रीमती वसुंधरा राजे
पिता का नाम स्व. श्री जीवाजी राव सिंधिया
माता का नाम श्रीमती विजया राजे सिंधिया, राजमाता
जन्म दिनांक 8 मार्च, 1953
जन्म स्थान मुंबई (महाराष्ट्र)
वैवाहिक स्थिति शादीशुदा
विवाह दिनांक 17 नवंबर, 1972
पति का नाम श्री हेमंत सिंह
संतति एक पुत्र
शैक्षणिक योग्यता बी.ए. (ऑनर्स) (अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान), सोफिया कॉलेज, मुंबई विश्वविद्यालय, (महाराष्ट्र) में शिक्षित
व्यवसाय राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता
निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन (झालावाड़)
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
विधानमंडल की सदस्यता

1985 - 1989 सदस्य, 8 वीं राजस्थान विधान सभा
2003 - 2008 सदस्य, 12 वीं राजस्थान विधान सभा
2008 - 2013 सदस्य, 13 वीं राजस्थान विधान सभा
2013 से अब तक सदस्य, 14 वीं राजस्थान विधान सभा

संसद की सदस्यता

1989 - 1991 सदस्य, 9 वीं लोकसभा
1991 - 1996 सदस्य, 10 वीं लोकसभा
1996-98 सदस्य, 11 वीं लोकसभा
1998-99 सदस्य, 12 वीं लोकसभा
1999-18/12/2003 सदस्य, 13 वीं लोकसभा
पदों पर कार्य

1984 सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
1985-87 उपाध्यक्षा, युवा मोर्चा, भाजपा, राजस्थान
1987 उपाध्यक्षा, भाजपा, राजस्थान
1990-1991 सदस्य, पुस्तकालय समिति
सदस्य, सलाहकार समिति, वाणिज्य और पर्यटन मंत्रालय
1991-1996
सदस्य, परामर्शदात्री समिति, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और पर्यटन मंत्रालय

1996-1997
सदस्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबंधी समिति
सदस्य, परामर्शदात्री समिति, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पर्यटन मंत्रालय

1997-1998 संयुक्त सचिव, भाजपा संसदीय दल
1998-1999 विदेश राज्य मंत्री
13 अक्टूबर 1999 - 31 अगस्त 2001
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), लघु उद्योग और कृषि एवं ग्रामीण उद्योग; कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, पेंशन और पेंशनर्स लाभार्थ विभाग, लोक शिकायत और पेंशन विभाग; परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग

1 सितम्बर 2001-1 नवंबर 2001
केंद्रीय राज्य मंत्री, लघु उद्योग, कार्मिक, प्रशिक्षण, पेंशन, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत, परमाणु ऊर्जा विभाग, और अंतरिक्ष विभाग (स्वतंत्र प्रभार)

2 नवंबर 2001-29 जनवरी 2003
केंद्रीय राज्य मंत्री, लघु उद्योग, कार्मिक, प्रशिक्षण, पेंशन, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत, परमाणु ऊर्जा विभाग, और अंतरिक्ष विभाग (स्वतंत्र प्रभार)

14 नवंबर 2002-14 दिसंबर 2003 अध्यक्षा, भाजपा, राजस्थान
8 दिसंबर 2003 to 13 दिसंबर 2008 मुख्यमंत्री, राजस्थान
2 जनवरी, 2009 to 25 फ़रवरी, 2010
9 मार्च, 2011 to 20 फ़रवरी, 2013 नेता प्रतिपक्ष, राजस्थान विधान सभा
13 दिसंबर 2013 से अब तक मुख्यमंत्री, राजस्थान

पसंद पढ़ना, संगीत एवं बाग़वानी
स्थायी निवास सिटी पैलेस, धौलपुर (राजस्थान)
वर्तमान निवास 13, सिविल लाइन्स, जयपुर - 302 006
दूरभाष 2229900, 2224400 (नि.)

मुख्यमंत्री

प्रिय पाठक ,
अब ये जानते हैं कि किस राज्य में कोन मुख्यमंत्री है।

State मुख्‍यमंत्री
आंध्र प्रदेश श्री नारा चंद्रबाबू नायडू
अरूणाचल प्रदेश श्री नबाम टुकी
असम श्री तरूण गोगइ
बिहार श्री नीतीश कुमार
छत्‍तीसगढ़ डॉ. रमन सिंह
दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) श्री अरविंद केजरीवाल
गोवा श्री लक्ष्मीकांत पारसेकर
गुजरात श्रीमती आनंदीबेन पटेल
हरियाणा श्री मनोहर लाल
हिमाचल प्रदेश श्री वीरभद्र सिंह
जम्‍मू और कश्‍मीर श्री मुफ्ती मोहम्मद सईद
झारखंड श्री रघुबर दास
कर्नाटक श्री सिद्धारमैया
केरल श्री ओमन चांडी
मध्‍य प्रदेश श्री शिवराज सिंह चौहान
महाराष्‍ट्र श्री देवेंद्र फडणवीस
मणिपुर श्री ओकराम इबोबी सिंह
मेघालय डॉ. मुकुल संगमा
मिज़ोरम श्री पू लल्थनवाला
नागालैंड श्री टी आर जेलियांग
ओडिशा श्री नवीन पटनायक
पुडुचेरी (यू.टी) श्री एन रंगासामी
पंजाब श्री प्रकाश सिंह बादल
राजस्‍थान श्रीमती वसुंधरा राजे
सिक्किम श्री पवन चमलिंग
तमिलनाडु सुश्री जे जयललिता
तेलंगाना श्री के.चंद्रशेखर राव
त्रिपुरा श्री मानिक सरकार
उत्‍तर प्रदेश श्री अखिलेश यादव
उत्तराखंड श्री हरीश रावत
पश्चिमी बंगाल सुश्री ममता बनर्जी
आपका अपना
नवीन चौधरी
संपादक

  1. नवीन ग्लोबल पत्रिका

राज्यपाल

प्रिय पाठक,
आज अगली कङी में हम राज्यों के राज्यपाल जानते हैं ।


State Governor
आंध्र प्रदेश श्री ई.एस लक्ष्मी नरसिम्हन
अरूणाचल प्रदेश श्री जे. पी. राजखोआ
असम श्री पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य (अतिरिक्त प्रभार)
बिहार श्री राम नाथ कोविन्द
छत्‍तीसगढ़ श्री बलरामजी दास टंडन
गोवा श्रीमती मृदुला सिन्हा
गुजरात श्री ओम प्रकाश कोहली
हरियाणा प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी
हिमाचल प्रदेश श्री आचार्य देव व्रत
जम्‍मू और कश्‍मीर श्री एन. एन. वोहरा
झारखंड श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
कर्नाटक श्री वाजूभाई वाला
केरल श्री न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) पलनिस्वामी सदाशिवम
मध्‍य प्रदेश श्री राम नरेश यादव
महाराष्‍ट्र श्री. चेन्नमनेनी विद्यासागर राव
मणिपुर श्री वी. षणमुगनाथन (अतिरिक्त प्रभार)
मेघालय श्री वी. षणमुगनाथन
मिज़ोरम लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) निर्भय शर्मा
नागालैंड श्री पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य
ओडिशा डॉ. एस.सी.जमीर
पंजाब श्री कप्तान सिंह सोलंकी
राजस्‍थान श्री कल्याण सिंह
सिक्किम श्री श्रीनिवास दादासाहेब पाटिल
तमिलनाडु श्री के. रोसैया
तेलंगाना श्री ई.एस लक्ष्मी नरसिम्हन (अतिरिक्त प्रभार)
त्रिपुरा श्री तथागत राय
उत्‍तर प्रदेश श्री राम नाईक
उत्तराखंड श्री कृष्ण कान्त पॉल
पश्चिमी बंगाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी
आपका अपना
नवीन चौधरी
संपादक
नवीन ग्लोबल पत्रिका

आईये जानें प्रधानमंत्री जी


प्रधानमंत्री

श्री नरेन्द्र मोदी
समर्पित, दृढ़-निश्चयी और कर्मठ श्री नरेन्द्र मोदी के 1 अरब भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं के लिए आशा की एक किरण बन कर उभरे हैं। विकास पर उनकी पैनी नज़र और किसी भी परिस्थिति में अपेक्षित परिणाम हासिल करने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बनाया है। वे अपने साथ एक ऐसे भारत की सोच लेकर आए हैं जो मज़बूत, विकसित और समावेशी हो और जहां प्रत्येक भारतीय अपनी आशाओं को फलीभूत होते हुए देख सकता हो।
नरेन्द्र मोदी ने चौथी बार भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के मुख्य मंत्री के रूप में अपने सफल कार्यकाल के साथ भारत और विश्वभर में अपनी छाप छोड़ी है। उनके नेतृत्व में जनहितैषी और सक्रिय सुशासन के कारण लोगों के जीवन में बड़ा भारी बदलाव आया। उन्होंने विनाशकारी भूकंप के दुष्परिणामों से जूझ रहे गुजरात की कायापलट की और उसे विकास में अग्रणी बनाया और इस तरह भारत के सर्वांगीण विकास में मजबूत योगदान दिया।
उन्होंने स्वयं आगे आकर नेतृत्व संभाला और गुजरात के चहुंमुखी विकास के लिए काम किया। उन्होंने लोगों को केन्द्र में रखते हुए सहभागी सुशासन की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में गुजरात सरकार ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं से 300 से अधिक पुरस्कार प्राप्त किए।
नरेन्द्र मोदी ने यह सब अपनी मेहनत और मूल्यों के बल पर हासिल किया जो उनमें युवा अवस्था से ही कूट-कूटकर भरे थे। नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर, 1950 में गुजरात के एक छोटे शहर में हुआ था। वे घोर गरीबी में पले-बढ़े। जीवन की आरंभिक कठिनाइयों ने उन्हें न सिर्फ कठोर परिश्रम के मूल्य की समझ दी बल्कि इसके साथ ही आम लोगों की पीड़ा समझने का मौका भी दिया। यही कारण है कि मुख्य मंत्री के रूप में उन्होंने अंत्योदय अर्थात् अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की सेवा करने के सिद्धांत का अनुकरण करते हुए जीवन जिया है । उन्होंने छोटी उम्र से ही देशभक्त संस्थाओं के साथ काम कर अपने आपको देश सेवा में समर्पित कर दिया।
वे एक ऐसे 'जन नेता' हैं, जो लोगों के हैं, लोगों के लिए हैं और लोगों द्वारा हैं। उनके लिए इससे सुखद और कुछ नहीं कि वे लागों के बीच रहें, उनकी खुशहाली देखें और उनके दुखों को दूर करें। उनकी मज़बूत ऑनलाइन उपस्थिति ने उनका जनाधार और बढ़ा है। नरेन्द्र मोदी भारत के सर्वाधिक प्रौद्योगिकी मूलक सोच रखने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं जो प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल लोगों से जुड़ने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए करते हैं। वे फेसबुक, ट्वीटर, गूगल+ और अन्य मंचों सहित सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं।
राजनीति के अलावा, श्री नरेन्द्र मोदी की रुचि लेखन और योग में भी है। उन्होंने विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखी हैं और वे कविताएं भी लिखते हैं। योग से हमेशा उनके दिन की शुरुआत होती है, जो अति सक्रिय दिनचर्या में उन्हें शांति प्रदान करता है।
श्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनमें साहस, संवेदनशीलता और दृढ़ निश्चय कूट-कूटकर भरे हैं। भारत की जनता ने उन्हें इस आशा के साथ जनादेश दिया है कि वे एक ऐसे गौरवशाली भारत का निर्माण करेंगे जिस पर संपूर्ण विश्व को गर्व होगा।
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आईये जाने

माननीय राष्ट्रपति को

श्री प्रणब मुखर्जी
पिता का नाम : स्‍वर्गीय श्री कामदा किन्‍कर मुखर्जी
मां का नाम: स्‍वर्गीय श्रीमती राजलक्ष्‍मी मुखर्जी
जन्‍म तिथि : 11 दिसम्‍बर, 1935
जन्‍म स्‍थान : मिराटी, किरनाहर, जिला : बिरभूम, पश्चिम बंगाल
वैवाहिक स्थिति : विवाहित
पत्‍नी का नाम : स्‍वर्गीय श्रीमती सुवरा मुखर्जी
बच्‍चे : दो पुत्र और एक पुत्री
शैक्षिक योग्‍यताएं : एम. ए. (इतिहास), एम. ए. (राजनीतिक विज्ञान), एलएल.बी., डी. लिट. (ऑनरिस कॉसा), विद्यासागर कॉलेज में शिक्षित
स्‍थायी पता : फ्लैट नं. 2-ए, पहला तल, 60/2/7, कवि भारती सारणी, लेक रोड, कोलकाता - 700 029 पश्चिम बंगाल, टेली. (033) 24648366
वर्तमान पता : राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली, 004 110, फोन: 011-23015321
व्‍यावसाय : राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता, अध्‍यापक, पत्रकार, लेखक
परिवारिक पृष्ठभूमि: पिताजी स्वतंत्रता सेनानी थे, 10 से अधिक वर्षों के लिए जेल गए थे, 1920 से सभी कांग्रेस आंदोलनों में भाग लिया, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक सदस्य थे, और पश्चिम बंगाल विधान परिषद (1952-1964), अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी, बीरभूम (पश्चिम बंगाल)
धारित पद :
राज्‍यसभा के लिए निर्वाचित (जुलाई 1969)
उप मंत्री, औद्योगिक विकास (जनवरी 1973- जनवरी 1974)
उप मंत्री, नौवहन और परिवहन (जनवरी 1974-अक्‍तूबर 1974)
केंद्रीय राज्‍य मंत्री, वित्त (अक्‍तूबर 1974-दिसम्‍बर 1975)
राज्‍यसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दूसरी अवधि) (जुलाई 1975)
मंत्री, राजस्‍व और बैंकिंग (स्‍वतंत्र प्रभार) (दिसम्‍बर 1975-मार्च 1977)
उप नेता, कॉन्‍ग्रेस पार्टी, राज्‍य सभा (1978 -1980)
सदस्‍य, कांग्रेस कार्य समिति (आईएनसी) (27 जनवरी 1978-18 जनवरी 1986)
कोषाध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति, कोषाध्यक्ष, संसद में कांग्रेस (I) पार्टी (1978 – 1979)
सदस्य, केंद्रीय संसदीय बोर्ड, एआईसीसी (1978 – 1986)
केन्द्रीय मंत्री, वाणिज्य, और इस्पात और खान (जनवरी 1980- जनवरी 1982)
सदन के नेता, राज्य सभा (1980 -1985)
राज्‍यसभा के लिए पुन: निर्वाचित (तीसरी अवधि) (अगस्‍त 1981)
केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ वित्त (जनवरी 1982-दिसम्‍बर 1984 और जनवरी-दिसम्‍बर 1984)
अध्‍यक्ष, संसद के राष्‍ट्रीय निर्वाचन के लिए एआईसीसी की प्रचार आयोजन समिति (1984-1991), (1996) और (1998)
अध्यक्ष, आर्थिक सलाहकार प्रकोष्ठ, एआईसीसी (1987 – 1989)
उपाध्यक्ष, योजना आयोग (जून 1991-मई 1996)
केन्द्रीय मंत्रिमंडल मंत्री, वाणिज्य (जनवरी 1993-फरवरी 1995)
राज्‍यसभा के लिए पुन: निर्वाचित (चौथी अवधि) (1993)
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, विदेश (फरवरी 1995-मई 1996)
सदस्य, व्यापार सलाहकार समिति, राज्य सभा (1996 – 2003)
सदस्य, विशेषाधिकार समिति, राज्य सभा, सदस्य, नियम पर समिति, राज्यसभा (1996 -2004)
सदस्य, विदेश मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति (1996 -1999)
अध्यक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों से संबंधित संसदीय स्थायी समिति, पर्यावरण और वन (1997)
राज्‍यसभा के लिए पुन: निर्वाचित (पांचवीं अवधि); पूर्व अध्यक्ष, केंद्रीय चुनाव समन्वय समिति, एआईसीसी (1999)
महासचिव, एआईसीसी; पूर्व सदस्य, कांग्रेस कार्य समिति (आईएनसी) (1998 – 1999)
अध्यक्ष, गृह मंत्रालय पर विभागों से संबंधित, संसदीय स्थायी समिति, पूर्व अध्‍यक्ष, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति, पूर्व सदस्य, केंद्रीय चुनाव समिति, एआईसीसी (जून 1998 – मई 2004)
14वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित (13 मई 2004)
केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, रक्षा (23 मई 2004 - 24 अक्‍तूबर 2006)
सदन के नेता, लोकसभा (25 मई 2004)
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, विदेश (25 अक्‍तूबर 2006-23 मई 2009)
वित्त मंत्रालय (अतिरिक्त प्रभार) (24 Jan 2009 - 23 मई 2009)
15वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित (दूसरी अवधि); सदन के पूर्व नेता, लोकसभा (20 मई 2009)
पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, वित्त (23 मई 2009 - 26 जून 2012)
प्रकाशित पुस्‍त्कें :
मध्‍यावधि निर्वाचन, 1969;
बियॉन्‍ड सर्वाइवल: इमर्जिंग डायमेंशन्‍स ऑफ इंडियन इकोनॉमी, 1984;
ऑफ द ट्रैक, 1987;
सागा ऑफ स्‍ट्रगल एंड सैक्रीफाइस, 1992; और
चैलेंजेस बिफोर द नेशन (भारतीय राष्‍ट्रीय कॉन्‍ग्रेस पर), 1992
पुरस्‍कार : पदम विभूषण, 2007
विदेश भ्रमण : अनेकानेक देशों की यात्रा की है।
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current affair 25/12/2015


25 दिसंबर 2015
1.मोदी ने अफगान संसद के साथ किया 'अटल ब्लॉक' का उद्घाटन
i.पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनोखे अंदाज़ में उन्हें तोहफा दिया है। अफगानिस्तान दौरे पर गए पीएम मोदी ने अफगानिस्तान की नवनिर्मित संसद का उदघाटन किया। इसी संसद में बने मुख्य 'अटल ब्लॉक' का भी उदघाटन कर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बेहद अनोखे तरीके से तोहफा दिया।


ii.अफगानिस्तान की नई संसद भारत की सहायता से काबुल में बनाई गई है। संसद के उद्घाटन के दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी भी मौजूद रहे।
iii.मोदी ने अशरफ गनी के साथ मिलकर फिता काटकर संसद का उद्घाटन किया। इसके बाद मोदी ने विजिटर्स डायरी में अपने हस्ताक्षर भी किए।

2.पेंडोरम टेक्नोलॉजी ने 3 डी प्रिंटिंग का उपयोग करते हुए भारत का पहला कृत्रिम वृक्क ऊतक विकसित किया
i.पेंडोरम टेक्नोलॉजी प्रॉइवेट लिमेटिड ने दिसंबर 2015 के तीसरे सप्ताह में भारत का पहला कृत्रिम वृक्क ऊतक विकसित किया है|
ii.यह 3 डी मानव अंगों के विनिर्माण क्षेत्र में एक बड़ा कदम है| कृत्रिम वृक्क ऊतक मानव वृक्क के लिए महत्वपूर्ण कार्य करता है जिसमें मेटाबाल्जिम, जैव रसायनों के स्राव जैसे कोलेस्ट्रॉल और एल्बुमिन और डिटोक्सिफिकेशन शामिल है|

3.भारत और रूस के बीच तेल व गैस क्षेत्र में चार समझौते
i.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान यहां भारत और रूसी कंपनियों के बीच तेल एवं गैस क्षेत्र में चार बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
ii.इनमें ओएनजीसी विदेश लिमिटेड को रूस के दूसरे सबसे बड़े तेल क्षेत्र वंकोरनेफ्ट में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण का समझौता भी शामिल है। दोनों देशों के बीच इन समझौते से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है।

4.प्रदूषण नियंत्रण हेतु पटना में प्रतिबंधित की जाएंगी 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियां
i.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी पटना में 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है| निरंतर प्रदूषित हो रहे वायुमंडल से जनजीवन को बचाने के लिए यह फैसला किया गया है|
ii.राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बिहार ने 14 दिसम्बर 2015 को प्रदूषण के आंकड़े भेजे थे जो नवम्बर में 400 के पार थे|
iii.राज्य में प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का स्तर काफी चिंताजनक है|

5.भारत के लिए रिलायंस बनाएगा मिसाइल
i.भारतीय रक्षा बलों के लिए रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने एक मिसाइल प्रणाली विकसित करने का फैसला लिया है। इसे एयर डिफेन्स मिसाइल और रिलायंस डिफेंस लिमिटेड प्रणाली विकसित करने वाली रूस की अग्रणी कंपनी अलमाजआंते ने मिलकर लिया है।
ii.आवश्यक हवाई रक्षा मिसाइल व राडार प्रणालियों की संपूर्ण रेंज पर मिलकर दोनों ने काम करने का फैसला किया है। रूस की कंपनी अलमाजआंते ने एस-400 ट्रायंफ हवाई रक्षा प्रणाली विकसित की है। इसको भारत ने करीब 40,000 करोड़ रूपए में खरीदने की योजना बनाई है।
iii.रिलायंस ग्रुप ने एक बयान में इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने एयर डिफेन्स मिसाइल प्रणालियों की पहचान कर ली है। जिसमें टीओआर-1एम मिसाइल प्रोग्राम, राडार व ऑटोमेटेड कंट्रोल सिस्टम्स शामिल है। इसके साथ ही इसमें मेक इन इंडिया के तहत साझीदारी भी की जाएगी।

6.जानीमानी अभिनेत्री साधना का निधन
i.‘मेरा साया’, ‘वो कौन थी’ और ‘वक्त’ जैसी अमर फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री साधाना शिवदसानी का आज एक संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया है। वह 74 वर्ष की थीं। सूत्रों ने बताया कि साधना का यहां पर एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
ii.उन्होंने सिंधी फिल्म ‘अबाना’ से पहली बार पूरी तरह से फिल्मी कैरियर की शुरूआत की। उनकी कुछ यादगार फिल्मों में ‘लव इन शिमला’, ‘हम दोनों’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’, ‘असली-नकली’, ‘मेरा महबूब’ और ‘वो कौन थी’ शामिल हैं।
आईये जानें सूचना का अधिकार
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में आम आदमी ही देश का असली मालिक होता है। इसलिए मालिक होने के नाते जनता को यह जानने का हक है कि जो सरकार उसकी सेवा के लिए बनाई गई है। वह क्या, कहां और कैसे कर रही है। इसके साथ ही हर नागरिक इस सरकार को चलाने के लिए टैक्स देता है, इसलिए भी नागरिकों को यह जानने का हक है कि उनका पैसा कहां खर्च किया जा रहा है। जनता के यह जानने का अधिकार ही सूचना का अधिकार है। 1976 में राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश मामले में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 19 में विर्णत सूचना के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया। अनुच्छेद 19 के अनुसार हर नागरिक को बोलने और अभिव्यक्त करने का अधिकार है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जनता जब तक जानेगी नहीं तब तक अभिव्यक्त नहीं कर सकती। 2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि किस प्रकार नागरिक सरकार से सूचना मांगेंगे और किस प्रकार सरकार जवाबदेह होगी।

सूचना के अधिकार कानून के बारे में कुछ खास बातें:

सूचना का अधिकार अधिनियम हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह -
सरकार से कोई भी सवाल पूछ सके या कोई भी सूचना ले सके.
किसी भी सरकारी दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति ले सके.
किसी भी सरकारी दस्तावेज की जांच कर सके.
किसी भी सरकारी काम की जांच कर सके.
किसी भी सरकारी काम में इस्तेमाल सामिग्री का प्रमाणित नमूना ले सके.

सभी सरकारी विभाग, पब्लिक सेक्टर यूनिट, किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता से चल रहीं गैर सरकारी संस्थाएं व शिक्षण संस्थाएं, आदि विभाग इसमें शामिल हैं. पूर्णत: निजी संस्थाएं इस कानून के दायरे में नहीं हैं लेकिन यदि किसी कानून के तहत कोई सरकारी विभाग किसी निजी संस्था से कोई जानकारी मांग सकता है तो उस विभाग के माध्यम से वह सूचना मांगी जा सकती है। (धारा-2(क) और (ज)

हर सरकारी विभाग में एक या एक से अधिक लोक सूचना अधिकारी बनाए गए हैं। यह वह अधिकारी हैं जो सूचना के अधिकार के तहत आवेदन स्वीकार करते हैं, मांगी गई सूचनाएं एकत्र करते हैं और उसे आवेदनकर्ता को उपलब्ध् कराते हैं। (धारा-5(१) लोक सूचना अधिकारी की ज़िम्मेदारी है कि वह 30 दिन के अन्दर (कुछ मामलों में 45 दिन तक) सूचना उपलब्ध् कराए। (धारा-7(1)।

अगर लोक सूचना अधिकारी आवेदन लेने से मना करता है, तय समय सीमा में सूचना नहीं उपलब्ध् कराता है अथवा गलत या भ्रामक जानकारी देता है तो देरी के लिए 250 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 25000 तक का ज़ुर्माना उसके वेतन में से काटा जा सकता है। साथ ही उसे सूचना भी देनी होगी।

लोक सूचना अधिकारी को अधिकार नहीं है कि वह आपसे सूचना मांगने का करण पूछे (धारा 6(2)

सूचना मांगने के लिए आवेदन फीस देनी होगी (केन्द्र सरकार ने आवेदन के साथ 10 रुपए की फीस तय की है
लेकिन कुछ राज्यों में यह अधिक है,  बीपीएल कार्डधरकों से सूचना मांगने की कोई फीस नहीं ली जाती (धारा 7(5)।

दस्तावेजों की प्रति लेने के लिए भी फीस देनी होगी. (केन्द्र सरकार ने यह फीस 2 रुपए प्रति पृष्ठ रखी है लेकिन
कुछ राज्यों में यह अधिक है, अगर सूचना तय समय सीमा में नहीं उपलब्ध् कराई गई है तो सूचना मुफ्रत दी जायेगी। (धारा 7(6)

यदि कोई लोक सूचना अधिकारी यह समझता है कि मांगी गई सूचना उसके विभाग से सम्बंधित नहीं है तो यह
उसका कर्तव्य है कि उस आवेदन को पांच दिन के अन्दर सम्बंधित विभाग को भेजे और आवेदक को भी सूचित
करे। ऐसी स्थिति में सूचना मिलने की समय सीमा 30 की जगह 35 दिन होगी। (धारा 6(3)

लोक सूचना अधिकारी यदि आवेदन लेने से इंकार करता है। अथवा परेशान करता है। तो उसकी शिकायत सीधे
सूचना आयोग से की जा सकती है।

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं को अस्वीकार करने, अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या गलत सूचना देने अथवा सूचना के लिए अधिक फीस मांगने के खिलाफ केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग के पास शिकायत कर सकते है।

लोक सूचना अधिकारी कुछ मामलों में सूचना देने से मना कर सकता है। जिन मामलों से सम्बंधित सूचना नहीं दी जा सकती उनका विवरण सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 में दिया गया है।

लेकिन यदि मांगी गई सूचना जनहित में है तो धारा 8 में मना की गई सूचना भी दी जा सकती है।

जो सूचना संसद या विधानसभा को देने से मना नहीं किया जा सकता उसे किसी आम आदमी को भी देने से मना नहीं किया जा सकता।

यदि लोक सूचना अधिकारी निर्धारित समय-सीमा के भीतर सूचना नहीं देते है या धारा 8 का गलत इस्तेमाल करते हुए सूचना देने से मना करता है, या दी गई सूचना से सन्तुष्ट नहीं होने की स्थिति में 3 दिनों के भीतर सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी यानि प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष  प्रथम अपील की जा सकती है (धारा 19(1)।

यदि आप प्रथम अपील से भी सन्तुष्ट नहीं हैं तो दूसरी अपील 60 दिनों के भीतर केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग (जिससे सम्बंधित हो) के पास करनी होती है। (धारा 19(3)।