क्या है?
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 सड़क सुरक्षा, यात्रियों की सुविधा, सार्वजनिक और ग्रामीण परिवहन को बढ़ावा देने तथा देश में परिवहन परिदृश्य में सुधार के साथ-साथ यातायात नियमों के उल्लंघन में दंड की राशि बढ़ाए जाने संबंधी प्रस्तावित विधेयक है।
लोक सभा में प्रस्तुत
9 अगस्त, 2016 को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोक सभा में मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 को प्रस्तुत किया।
ज्ञातव्य है कि 3 अगस्त, 2016 को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 को मंजूरी दे दी थी।
विधेयक के प्रावधान
यह विधेयक वर्तमान मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन का प्रावधान करता है।
वर्तमान में मोटर वाहन अधिनियम में 223 धाराएं हैं जिसमें से 68 धाराओं को इस विधेयक द्वारा संशोधित करने का प्रस्ताव है।
विधेयक में तीसरे पक्ष के बीमा दावों और निपटान की प्रक्रिया को सरल बनाने हेतु मोटर वाहन अधिनियम, 1988 से अध्याय-10 को हटाने तथा अध्याय-11 को नए प्रावधानों से बदलने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक में लाइसेंस या परमिट जारी करने, फॉर्म या आवेदन भरने, पता बदलने तथा धन की प्राप्ति (जैसे-जुर्माना) हेतु कंप्यूटरीकरण का प्रावधान है।
संशोधन विधेयक में ‘राष्ट्रीय परिवहन नीति’ (National Transportation Policy) के निर्माण का प्रावधान है, जिसे केंद्र सरकार राज्यों से विचार-विमर्श द्वारा विकसित करेगी।
केंद्र सरकार ‘मोटर वाहन दुर्घटना कोष’ (Motor Vehicle Accident Fund) का गठन करेगी।
यह कोष सड़क का प्रयोग करने वाले सभी व्यक्तियों को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा।
कोष का प्रबंधन केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अथॉरिटी करेगी।
गोल्डेन ऑवर (Golden Hour) के दौरान सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों का कैश-लेश उपचार करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा एक योजना विकसित की जाएगी।
‘गोल्डेन ऑवर’ घातक चोट के बाद की वह समयावधि है, जब तुरंत चिकित्सकीय उपाय द्वारा मृत्यु को टाला जा सकता है।
गुड समैरिटन (नेक व्यक्तियों) को विधेयक में संरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है।’
गुड समैरिटन वह व्यक्ति है, जो दुर्घटना पीड़ित को आपातकालीन चिकित्सकीय या गैर- चिकित्सकीय मदद देता है।
विधेयक के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों (गुड समैरिटन) को किसी भी आपराधिक अथवा दीवानी कार्रवाई से मुक्त रखने का प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक केंद्र सरकार को ऐसे मोटर वाहनों को रिकॉल (वापस लेने) की शक्ति देता है, जो किसी खराबी के कारण पर्यावरण, ड्राइवर या सड़क का प्रयोग करने वाले को नुकसान पहुंचा सकता है।
मोटर वाहन मैन्युफैक्चरर द्वारा मोटर वाहनों के निर्माण या रख-रखाव के मानदंडों का अनुपालन करने में असफल रहने पर अधिकतम 100 करोड़ रुपये का जुर्माना या 1 वर्ष का कारावास अथवा दोनों हो सकता है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
विधेयक में परिवहन सेवाओं के कंप्यूटरीकरण का प्रावधान किया गया है।
हिट एंड रन मामले में मुआवजे की राशि 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया है।
सड़क हादसे में होने वाली मृत्यु पर मुआवजा राशि 10 लाख रुपये करने का प्रावधान है।
शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा।
किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों के लिए अभिभावक अथवा वाहन मालिक को दोषी माना जाएगा और उन्हें 25 हजार रुपये का जुर्माना तथा 3 वर्ष का कारावास हो सकता है।
किशोर अपराधों के लिए ‘जूवनाइल जस्टिस एक्ट’ के तहत मुकदमा चलाने तथा मोटर वाहन का पंजीकरण रद्द करने का प्रावधान है।
आपातकालीन वाहनों (जैसे-एम्बुलेंस या अग्निशमन सेवा यान) को मार्ग प्रदान न करने पर जुर्माने की राशि 10 हजार रुपये निर्धारित की गई है।
यातायात नियमों के उल्लंघन पर न्यूनतम 500 रुपये का जुर्माना हो सकता है तथा इसे बढ़ाकर 1000 रुपये किया जा सकता है।
हेलमेट पहने बिना गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 2000 रुपये का जुर्माना तथा ड्राइविंग लाइसेंस को तीन महीने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
विधेयक में दिव्यांगों के लिए परिवहन बाधाओं को दूर किया गया है।
लाभ
विधेयक में यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी-भरकम जुर्माने का प्रावधान किया गया है, इससे यातायात व्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिलने की संभावना है।
शराब पीकर ड्राइविंग, यात्रियों की ओवरलोंिंडग, गति से ऊपर तथा खतरनाक ड्राइविंग एवं सीट बेल्ट व हेलमेट जैसे सख्त प्रावधानों द्वारा सड़क दुर्घटना से होने वाली मृत्यु पर नियंत्रण किया जा सकेगा।
ध्यातव्य है कि भारत में प्रति वर्ष 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं की सूचना मिलती है, जिसमें से 1.5 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।
किशोर अपराधों के लिए अभिभावक अथवा मालिक को दोषी मानने से किशोर अपराधों में कमी होगी।
गोल्डेन ऑवर के दौरान ‘कैशलेश उपचार हेतु स्कीम’ (योजना) के परिचालन से सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों पर अंकुश लगेगा।
गुड समैरिटन (नेक व्यक्तियों) को संरक्षण दिए जाने से ऐसे व्यक्ति दुर्घटना संवेदनशील होंगे तथा पीड़ित की मदद के लिए आगे आएंगे।
पर्यावरण मानकों को पूरा न कर पाने वाले वाहनों के रिकॉल (वापसी) से पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकेगा।
No comments:
Post a Comment