Friday, 29 January 2016

WHO ने दी भारत को इस वायरस से बचने की सलाह


भारत पर भी मंडराया जीका वायरस का खतरा, पढ़ें क्‍या है इसके लक्षण


स्‍वाइन फ्लू और इबोला के बाद अब दुनिया पर जीका वायरस का खतरा मंडरा रहा है. दुनिया भर के डॉक्‍टरों और वैज्ञानिकों के लिए यह जीका वायरस एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है. ब्राजील सहित दुनिया के 15 देशों में फैले इस जीका वायरस से भारत में भी खतरा पैदा हो गया है. बता दें कि लैटिन अमेरिकी देश इसकी सबसे ज्यादा चपेट में हैं.
हालांकि आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि पांच में से चार लोग इस वायरस के संपर्क में आने से बीमार नहीं होते हैं, लेकिन यह बहुत घातक है. जीका वायरस से पीड़ित चार रोगियों में से केवल एक में लक्षण दिखता है, लेकिन इससे संक्रमित लोगों में गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं.
ये हैं जीका के लक्षण
* बच्चों और बड़ों में इसके लक्षण लगभग एक ही जैसे होते हैं.
* कुछ लोगों में इस वायरस के लक्षण दिखाई भी नहीं देते हैं.
* जीका वायरस का शिकार होने पर जैसे बुखार, शरीर में दर्द, आंखों में सूजन, जोड़ों का दर्द और शरीर पर रैशेज हो जाते हैं.
* इसमें बच्चों के मस्तिष्क का पूरा विकास नहीं हो पाता और उनका सिर सामान्य से छोटा रह जाता है.
* कुछ बड़े ही कम मामलों में यह बीमारी नर्वस सिस्टम को ऐसे डिसऑर्डर में बदल सकती है, जिससे पैरलिसिस भी हो सकता है.
* इस बीमारी से सबसे ज्‍यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को है, क्योंकि इसके वायरस से नवजात शिशुओं को माइक्रोसिफेली होने का खतरा है.
* शिशुओं में मस्तिष्क का विकास भी अधूरा होता है.
जीका से बचने के उपाय
* विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जीका वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरों की रोकथाम.
* डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें.
* मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें.
* बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नजर आने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें.
* जीका वायरस का फिलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
बच्‍चे और गर्भवती महिलाएं आ रहीं चपेट में
मध्य अमेरिका के सबसे छोटे और घनी आबादी वाले देश अल साल्वाडोर के उप स्वास्थ्य मंत्री एडियाडरे एसपिनोजा ने समूचे लैटिन अमेरिका की महिलाओं से आग्रह किया है कि वह जीका वायरस के खतरे को देखते हुए वर्ष 2018 तक गर्भधारण की योजना टाल दें.
चेतावनी दी जा रही है कि जो महिलाएं गर्भधारण की योजना बना रही हैं, उनसे गुजारिश है कि वह अपनी इस योजना को कुछ वर्षो के लिए टाल दें. इसके अलावा जो गर्भवती हैं, वह अपनी छुट्टियों की योजना को रद्द कर दें. यूएस सेंटर्स फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने महिलाओं को चेताया है कि उन्हें फिलहाल जीका संक्रमित 20 देशों की यात्रा नहीं चाहिए.
कैसे फैल रहा है जीका
यह जीका वायरस मानवों में मच्छरों के द्वारा फैल रहा है. ये वायरस एडीज मच्‍छरों से फैलता है और यह मच्‍छर भारत के हर राज्‍य में हैं.
जीका वैक्सीन में अभी दो साल का वक्‍त
इस बीच वैज्ञानिकों का कहना है कि जीका की वैक्सीन तैयार होने में अभी दो साल लग सकते हैं जबकि इसके आम लोगों तक पहुंचने में अभी एक दशक तक लग सकता है. यही वजह है कि सबका जोर इस बीमारी को फैलने से रोकने पर है. ब्राज़ील, अर्जेंटीना, अमेरिका समेत कई देशों की प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक इसका उपचार ढूंढ रहे हैं.
रियो ओलंपिक पर जीका का खतरा
इस साल अगस्त में ब्राजील के रियो डि जिनेरो में ओलिंपिक खेल होने वाले हैं. ब्राज़ील सरकार को डर है कि दुनिया भर से आने वाले खिलाड़ी और दर्शक कहीं इस बीमारी की चपेट में आकर इसका वायरस दुनियाभर न फैला दें. हालांकि ब्राजील की सरकार ने मच्छरों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. जिन स्टेडियमों में ओलिंपिक खेल होने हैं, वहां मच्छरों को पनपने से रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. जीका वायरस का मच्छर रुके हुए साफ पानी में पनपता है जैसे डेंगू में होता है.
जीका वायरस का खाका हुआ तैयार
अमेरिका के शोधार्थियों के एक समूह ने पहली बार जीका वायरस संबंधी तथ्यों को जुटाकर इसका खाका तैयार किया है. जीका के 9 पॉजिटिव रोगियों से शुरू हुआ वायरस का प्रकोप कोलंबिया में अब तक 13 हजार से अधिक व्यक्तियों को अपनी चपेट में ले चुका है. पिछले साल अक्टूबर यूनिवर्सिटी ऑफ विसकन्सिन-मैडिसन (यूडब्लू-मैडिसन) और कोलंबिया की एक यूनिवर्सिडाड डी सक्री के शोधर्थियों के समूह ने दक्षिण अमेरिकी देशों में जीका वायरस के प्राथमिक जांचों की पुष्टि की थी.

जीका वायरसः गर्भ में पल रहे बच्चे को है सबसे ज्यादा खतरा
सावधान हो जाइए. लैटिन अमेरिका में कहर बरपाने के बाद यूरोप के रास्ते पर जीका वायरस निकल पड़ा है. जी हां, ब्राजील में दो साल में 50 लोगों की मौत की वजह बना जीका वायरस अपने पैर फैला सकता है. हालांकि भारत अभी उसके ठिकाने से दूर दिख रहा है.
काले रंग पर सफेद पट्टियों वाला और करीब 5 मिलीमीटर आकार का अदना सा मच्छर किसी मां के गर्भ में पल रहे बच्चे का दिमाग बनना रोक सकता है और उसके चेहरे का आकार-प्रकार बिगाड़ सकता है.

जी हां. ये है एडिस Aedes aegypti ( एडिस ऐजिप्टी ) मच्छर जिसने भारत से करीब पंद्रह हजार किलोमीटर दूर लैटिन अमेरिकी देशों की नाक में दम कर दिया है.

ये उसी एडीस नस्ल का मच्छर है जिसने अपने डेंगू, चिकनगुनिया और यलो फीवर देकर पहले ही दुनिया में तहलका मचा चुका है. सबसे ज्यादा असर ब्राजील में है जहां घर -घर जाकर मच्छर पनपने वाली जगहों पर दवाइयां डालने के काम में सेना को लगाना पड़ा है. ब्राजील में 28 में से 21 राज्य जीका वायरस की चपेट में हैं और 6 राज्यों में हेल्थ इमरेंसी का एलान किया गया है.

ब्राजील के साथ ही पैरागुए, कोलंबिया, वेनेजुएला , फ्रेंच गयाना , सूरीनाम और मेक्सिको , हैती, प्युएर्तो रीको
में जीका वायरस का कहर है.

जबकि अर्जेंटीना, चिली, बोलिविया, पेरू, एक्वाडॉर, कोस्टा रिका, एल सैल्वडॉर, ग्वातेमाला, होंडूरास, पनामा, में खतरा मंडरा रहा है. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि एल सैल्वडॉर की सरकार ने अगले दो साल तक महिलाओं को गर्भवती ना होने की सलाह दी है. इस बीच यूरोपीय देश डेनमार्क में भी जीका का एक केस पाया गया है.

दरअसल, जीका वायरस के निशाने पर गर्भवती महिलाएं ज्यादा हैं. और इसे अजन्मे बच्चो के लिए महामारी के तौर पर देखा जा रहा है. इस वायरस की वजह से भ्रूण में मस्तिष्क का विकास रुक जाता है माइक्रोसेफाले (microcephaly) नाम का दिमागी बीमारी फैल जाती है.

ब्राजील में ऐसा तब हो रहा है जब 6 महीने बाद वहां ओलंपिक होने जा रहे हैं. अब तक के शोध बताते हैं कि ये वायरस पर्यटकों के जरिए लैटिन अमेरिका तक पहुंचा. वैसे इस वायरस का सबसे पहले मामला 1947 में युगांडा में पाया गया था. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके और फैलने के आसार जताए हैं.

आलम ये है कि अकेले ब्राजील में 15 लाख लोग खतरे के दायरे में है. 3893 लोग संदिग्ध रूप से जीका वायरस से प्रभावित हैं
औरअब तक 49 लोगों की मौत हो चुकी है और यहां ये वायरस करीब 8 महीने पहले घुसा था.

दरअसल, जीका के कोई विशेष लक्षण नहीं हैं जिससे इसे पहचानना मुश्किल बना हुआ है. इलाज और बचाव का टीका तो अभी दूर की बात है.

जीका वायरस के असर से जोड़ों में तेज दर्द, आंखें लाल होना, मचली, चिड़चिड़ापन या बेचैनी जैसे लक्षण दिख सकते हैं.

चूंकि इलाज कम है इसलिए इस वायरस से बचना ही फिलहाल सबसे बड़ा रास्ता है. हालांकि इस वायरस से मौत की संख्या फिलहाल काफी कम है. वहीं भारत में इस वायरस का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है. लेकिन सावधान रहें मुसीबत कभी बता कर नहीं आती.

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