मुद्रित राजपत्र अधिसूचनाओं के लिए लंबा इंतजार अब समाप्त -
शहरी विकास
मंत्रालय ने हर
साल राजपत्र अधिसूचनाओं
के
3.50 करोड़
पेजों की छपाई
बंद की
शहरी विकास
मंत्रालय ने अपने
एक महत्वपूर्ण
कदम के तहत भारत
सरकार की राजपत्र
अधिसूचनाओं की
छपाई बंद कर दी
है और इसके स्थान
पर अब ‘ई-प्रकाशन’ की
शुरुआत कर दी है।
इसके साथ ही मुद्रित
राजपत्र अधिसूचनाओं
के लिए लंबा इंतजार
अब समाप्त हो गया
है। शहरी विकास
मंत्री श्री एम.
वेंकैया नायडू
की पहल पर इस महीने
की पहली तारीख
से ही ई-प्रकाशन
की तरफ सफलतापूर्वक
कदम बढ़ा दिया
गया है।
विभिन्न
तरह के कानूनों,
अधिनियमों, नियमों,
आदेशों और सरकारी
निर्णयों को विधिमान्य
एवं प्रमाणित करने
और प्रभावी बनाने
के लिए राजपत्र
अधिसूचनाएं जारी
करना एक महत्वपूर्ण
कानूनी अनिवार्यता
है। सभी उपयोगकर्ता
समूहों को इन अधिसूचनाओं
की प्रतियां प्राप्त
करने के लिए कई
महीनों तक इंतजार
करना पड़ता था,
क्योंकि इनकी छपाई
में काफी वक्त
लगता था। सरकार
के विभिन्न मंत्रालय
और विभाग राजपत्र
प्रकाशन से जुड़ी
अपनी आवश्यकताएं
सरकारी प्रिंटिंग
प्रेस को सौंप
दिया करते थे, जहां
टाइप की सेटिंग,
छपाई और प्रकाशन
पर काम होता था।
इसके बाद हार्ड
कॉपी (प्रतियां)
को सभी सरकारी
और निजी उपयोगकर्ताओं
द्वारा उपयोग हेतु
बिक्री के लिए
उपलब्ध कराया जाता
था।
इसमें
होने वाले विलम्ब
को समाप्त करने
के लिए शहरी विकास
मंत्रालय ने प्रकाशन
विभाग को इनकी
छपाई बंद करने
और संबंधित मंत्रालयों
एवं विभागों से
राजपत्र अधिसूचनाएं
प्राप्त होने के
पांच दिनों के
भीतर अपनी आधिकारिक
वेबसाइट http://www.egazette.nic.in पर सभी
राजपत्र अधिसूचनाओं
का ई-प्रकाशन करने
का निर्देश दिया
है। समस्त भावी
संदर्भों के लिए
राजपत्र से जुड़े
दस्तावेजों के
रखरखाव की जिम्मेदारी
विभाग को सौंपी
गई है।
उपयोगकर्ता
समूह और नागरिक
सभी राजपत्र अधिसूचनाओं
को निःशुल्क डाउनलोड
और प्रिंट कर सकते
हैं। सूचना प्रौद्योगिकी
अधिनियम, 2000 के प्रावधानों
के तहत डाउनलोड
और प्रिंट की गईं
राजपत्र की प्रतियां
सभी आधिकारिक एवं
कानूनी कार्यों
के लिए पर्याप्त
मानी जाएंगी।
ई-प्रकाशन
की खास अहमियत
है क्योंकि अनेक
राजपत्र अधिसूचनाएं
भूमि अधिग्रहण
से जुड़े मसलों
समेत राष्ट्रीय
हित की परियोजनाओं
से वास्ता रखती
हैं। यही नहीं,
अब इन राजपत्र
अधिसूचनाओं के
जल्द उपलब्ध हो
जाने से आगे की
प्रक्रियाओं की
शीघ्र शुरुआत संभव
हो पाएगी।
ई-प्रकाशन
से न केवल समय की
भारी बचत होगी,
बल्कि हर साल इन
अधिसूचनाओं के
तकरीबन 3.50 करोड़
पेजों की छपाई
की जरूरत भी अब
नहीं रह गई है।
इसके फलस्वरूप
90 टन कागज के अलावा
बिजली, रसायनों,
रंग इत्यादि पर
हर साल खर्च होने
वाले 40 करोड़ रुपए
की प्रकाशन लागत
की बचत होगी। इतना
ही नहीं, यह एक प्रमुख
पर्यावरण अनुकूल
कदम भी है।
भारत सरकार
की प्रिंटिंग प्रेस
शहरी विकास मंत्रालय
के प्रशासनिक नियंत्रण
के अधीन हैं।